गो.ब. पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी- कटारमल तथा राष्ट्रीय सतत तटीय प्रबन्धन केन्द्र चेन्नई द्वारा भारत की जी 20 की अध्यक्षता और बदलती जलवायु के तहत हिमालयी समाजों को बनाए रखने के लिए हरित-विकास रणनीतियाँ: नीति, मार्ग और उपकरण विषय पर दो दिवसीय (27-28 जून 2023) राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया.
कार्यक्रम के द्वितीय दिन की शुरुआत में संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल ने सभी आगंतुकों का पुनः स्वागत करते हुए उन्हें इस कार्यक्रम में अपनी सहभागिता हेतु सबका आभार जताया.
राष्ट्रीय सम्मेलन के तृतीय तकनीकी सत्र में बी.एस. बोनाल, पूर्व पीसीसीएफ और डा ललित तिवारी, प्रोफेसर कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल की अध्यक्षता में जलवायु एवं पर्यावरणीय स्वास्थ्य विषय पर परिचर्चा हुई जिसमें डा नरेंद्र सिंह, एरीज नैनीताल ने जलवायु परिवर्तन और हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र पर इसके प्रभाव और डा एच.सी. कर्नाटक, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान देहरादून ने उभरती भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों और जलवायु परिवर्तन अध्ययन में इसके अनुप्रयोग विषय पर अपना व्याख्यान दिया।
कार्यक्रम के चतुर्थ तकनीकी सत्र में डा लक्ष्मीकांत, निदेशक वीपीकेएएस अल्मोड़ा और डा एस.पी. सती, प्रोफेसर वीसीएसजीयूएचएफ की अध्यक्षता में सतत सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए चक्रीय अर्थव्यवस्था विषय पर परिचर्चा हुई जिसमें डा उमा मेलकानिया, गो. ब. पन्त कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर ने पारिस्थितिकी तंत्र आधारित अनुकूलन और शमन रणनीतियाँ, डा लक्ष्मीकांत, निदेशक वीपीकेएएस अल्मोड़ा ने परंपरागत श्री अन्न फसलों द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों में पोषण सुरक्षा तथा डा संजय द्विवेदी, इन्दिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर ने चावल-अलसी फसल प्रणाली के तहत लाभकारी रिटर्न के लिए जलवायु अनुकूल कृषि प्रबंधन रणनीतियाँ विषय पर अपना व्याख्यान दिया।
इसके अतिरिक्त कार्यक्रम के द्वितीय पैनल चर्चा में डा एन.एच. रवीन्द्रनाथ, आईआईएससी बैंगलोर और डा जी.एस.रावत, डब्ल्यूआईआई देहरादून की अध्यक्षता में वन संसाधन और पादप जैव विविधता विषय पर परिचर्चा हुई जिसमें डा जे सी कुनियाल, वैज्ञानिक पर्यावरण संस्थान अल्मोड़ा ने वन संसाधन और पादप जैव विविधता विषय पर अपना व्याख्यान दिया। तृतीय पैनल चर्चा में डा वी.पी. डिमरी, पद्मश्री और एफएनए और ई किरीट कुमार, वैज्ञानिक पर्यावरण संस्थान अल्मोड़ा की अध्यक्षता में आपदा जोखिम न्यूनीकरण विषय पर परिचर्चा हुई जिसमें डा एस.पी. सती, प्रोफेसर वीसीएसजीयूएचएफ ने जलवायु परिवर्तन और हिमालय: कुछ हालिया निष्कर्ष विषय पर अपना व्याख्यान दिया और चतुर्थ पैनल चर्चा में डा उमा मेलकानिया, गो. ब. पन्त कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर और महातिम यादव, आईएफएस की अध्यक्षता में जंगल की आग-मुद्दे, चुनौतियाँ और सर्वोत्तम प्रबंधन प्रथाएँ विषय पर परिचर्चा हुई जिसमें श्री महातिम यादव, आईएफएस ने उत्तराखंड हिमालय के जंगल की आग को समझने के लिए एक जीआईएस आधारित दृष्टिकोण: मिथक वास्तविकताएं और नीति निर्धारण तथा डा अमित वर्मा, एफआरआई देहरादून ने जंगल की आग प्रबंधन: मुद्दे, चुनौतियां और आगे का रास्ता विषय पर अपना व्याख्यान दिया जिसमें डा बीएस अधिकारी और सत्य कुमार डब्ल्यूआईआई देहरादून, नरेश कुमार आईसीएआर; मनोज कुमार एफआरआई; ललित तिवारी, एन.डी. कांडपाल और अनिल बिष्ट कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल; धनी आर्य और ए. यादव एसएसजे विश्वविद्यालय अल्मोड़ा; के. बनर्जी, एनसीएससीएम चेन्नई, आई.डी. भट्ट, पर्यावरण संस्थान अल्मोड़ा, संजीव बच्चर इसीमोड काठमांडू; नरेंद्र सिंह एरीज नैनीताल; हेमवती पांडे, जीकेवी; सौरभ कुमार, बीआईएस; छवि पंत पांडे वाडिया संस्थान देहरादून; डीजीएम-नाबार्ड, पी.एस. रावत, एडीजी-आईसीएफआरई; जीसीएस नेगी पर्यावरण संस्थान अल्मोड़ा; बीएस भंडारी और जेपी मेहता एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय; एस.के. कनौजिया, बीआईएस; स्मिता नौटियाल, आईसीएफआरई; डीएफओ-अल्मोड़ा; गजेंद्र पाठक, स्याहीदेवी मंच समेत 27 संस्थानों के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया।
कार्यक्रम के समापन सत्र में सर्वश्रेष्ठ मौखिक/पोस्टर प्रस्तुतियाँ हेतु प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरित किये गये। कार्यक्रम के समापन सत्र में डॉ. असीर रमेश वैज्ञानिक राष्ट्रीय सतत तटीय प्रबन्धन केन्द्र चेन्नई, डॉ. संजीव बच्चर, आईसीआईएमओडी नेपाल, डॉ. लक्ष्मी कांत, निदेशक वीपीकेएएस अल्मोड़ा तथा प्रकाश जोशी नगर पालिका अध्यक्ष अल्मोडा ने कार्यशाला को उपयोगी बताया तथा अपने विचार व्यक्त किये.
अन्त में पर्यावरण संस्थान अल्मोड़ा के निदेशक प्रोफेसर सुनील नौटियाल ने सभी प्रतिभागियों को इस कार्यक्रम से जुड़ने और अपने विचारों को साझा करने हेतु सबका आभार व्यक्त किया उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से ज्ञान विज्ञान को जन मानस तक पहुंचाने हेतु नये आयामों का विकास होता है। उन्होंने भारतीय हिमालयी क्षेत्रों में जल सुरक्षा एवं जलवायु परिवर्तन, समाज की आजीविका, सतत विकास के लिए जैव विविधता, वर्ष 2020-2025 के लिए अनुसंधान एवं विकास, भारत की जी 20 की प्राथमिकताएं, हरित भारत के लिए रोडमैप पंचामृत, एक हिमालय एक नीति जैसे ज्वलन्त मुद्दों से भी सबको अवगत कराया।
इस कार्यक्रम में संस्थान के वैज्ञानिकों ई किरीट कुमार, डा जे सी कुनियाल, डा आई डी भट्ट, डा पारोमिता घोष सहित संस्थान के वैज्ञानिकों एवं शोधार्थियों समेत लगभग 200 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का संचालन संस्थान के वैज्ञानिक डा. के एस कनवाल और समापन संस्थान के वैज्ञानिक डा. जे सी कुनियाल के धन्यवाद ज्ञापन द्वारा हुआ।