अल्मोड़ा। सत्य पथ न्यूज़* शिक्षाविद प्रो भीमा मनराल ने कहा कि वर्तमान में शिक्षा तो हर कोई ले रहा है परंतु वह व्यवहारिक नहीं मिल पा रही है। साथ ही नारी शिक्षा को और अधिक मजबूत बनाने की आवश्यकता है ताकि समाज के निर्माण मे नारी की भूमिका और अधिक मजबूत बन सके।
सोबन सिंह विवि की शिक्षा संकाय डीन प्रो भीमा मनराल यह बात मंगलवार को स्वामी विवेकानन्द के शिकागो धर्म सभा के पश्चात् मातृभूमि भारत लौटने के उपरान्त अल्मोड़ा आगमन (1897) एवं रामकृष्ण मिशन की स्थापना के 125 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में “नारी सशक्तिकरण एवं युवाओं के सन्दर्भ में स्वामी विवेकानन्द का वैश्विक सन्देश’ 93 विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ के अवसर पर बोल रही थी। कार्यक्रम का प्रारम्भ दीप प्रज्जवलन से प्रारम्भ हुआ जिसमें सन्यासियों द्वारा वेद पाठ किया गया। विवेकानन्द इण्टर कॉलेज के विद्यार्थियों द्वारा बैण्ड बजाकर अतिथियों का स्वागत किया गया। तत्पश्चात् अतिथियों का बैज अलंकरण तथा स्वागत गीत हुआ। स्वामी ध्रुवेशानन्द जी द्वारा स्वागत भाषण में स्वामी विवेकानन्द जी के मातृभूमि के प्रति प्रेम तथा उनके भारत के भविष्य के प्रति सोच के विषय में प्रकाश डाला गया।
वही सभी अतिथियों का स्वगत करते हुए प्रो भीमा मनराल द्वारा संगोष्ठी परिचय एवं संगोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। उन्होंने स्वामी विवेकानन्द जी के दार्शनिक विचारों पर प्रकाश डाला। स्वामी वेदनिष्ठानन्द जी द्वारा आधार व्याख्यान प्रस्तुत किया गया जिसमें संगोष्ठी के विषय में विस्तृत रूप से व्याख्यान देते हुए उन्होंने स्वामी विवेकानन्द जी के वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर रखे जाने एवं भारत लौटकर रामकृष्ण मिशन के माध्यम से मातृभूमि की सेवा करने के विषय में बताया गया। उसके पश्चात् पद्म श्री डॉ. ललित पाण्डे जी, प्रकाश चन्द्र जोशी जी तथा प्रो प्रवीण बिष्ट द्वारा उ‌द्बोधन किया गया। स्वामी जी की स्त्री शिक्षा के विषय में एवं युवा शक्ति के उत्थान के विषय में विस्तार से बताया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्वामी निखिलेश्वरानन्द जी ने स्वामी जी के जीवन परिचय एवं उनके शिकागो यात्रा, के प्रसंगों एवं भारत लौटकर भारत माता के प्रति पूर्ण समर्पित कार्यों के विषय में बताया गया।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्रो. जगत सिंह बिष्ट कुलपति एस एस जे विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी के लक्ष्यों एवं स्वामी विवेकानन्द जी के विचारों पर चलते हुए सशक्त भारत निर्माण की बात कही गई। 
द्वितीय सत्र में शिक्षकों और शोधार्थियों द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।  इस मौके पर प्रोफेसर जया उपरेती, कस्तूरबानंद , प्रोफेसर एनसी ढोड़ियाल, डॉ देवेंद्र बिष्ट, डॉ संगीता पवार, डॉ नीलम प्रो बीडीएस नेगी, डॉ चन्द्र प्रकाश फुलेरिया, प्रो गोपाल लाल आदि मोजूद रहे।