*शिक्षाशास्त्र संकाय में शिक्षण शास्त्र एवं पाठ योजना विषय पर दो दिवसीय वर्कशॉप का समापन*
*अल्मोड़ा।* सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय शिक्षा संकाय की पूर्व डीन और शिक्षाविद *प्रो विजयारानी ढोडियाल* ने कहा कि शिक्षण शास्त्र एवं पाठ योजना में एकरूपता लाने के लिए सारे शिक्षण संस्थाओं को एक निश्चित फॉर्मेट का निर्माण करना चाहिए, ताकि शिक्षण क्षेत्र में आ रही तकनीकी समस्याओं का निदान हो सके। इस क्षेत्र में अभी बहुत काम किया जाना शेष है। नीति नियंताओं को सारे संस्थानों, विश्वविद्यालयों और डाइट से जुड़े प्राध्यापकों को पाठ योजना का समावेशी मॉडल बनाना चाहिये। यह मॉडल नई शिक्षा नीति की रचनात्मक सोच को परिलक्षित करने वाला हो, ताकि शिक्षकों को युक्तियों, प्रविधियां, विधियों एवं सही उपागम के प्रयोग सटीक जानकारी मिल सकें।
यह बात रविवार को शिक्षा संकाय सभागार में आजादी के अमृत महोत्सव, जी-20 के अंतर्गत आयोजित शिक्षण शास्त्र और पाठ योजना विषय पर आयोजित दो दिवसीय वर्कशॉप के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि पूर्व शिक्षा संकाय अध्यक्ष प्रो विजयारानी ढ़ोंडियाल ने कही। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विषय की पाठ योजना अपने आप में विशिष्ट एवं अलग होती है। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए संदर्भ दाता प्रो नवीन चंद्र ढ़ोंडियाल ने कहा कि इस दो दिवसीय कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शिक्षणशास्त्र और पाठ योजना एक रूपता लाकर मानकीकृत बनाना है। इसके लिए इसका एक प्रारूप बनाया जा रहा है। कक्षा कक्ष में आने वाली समस्याओं का समाधान अपने उद्देश्यों की पूर्ति कर सकें। वहीं, समापन सत्र की में अतिथियों का आभार प्रकट करते हुए कार्यशाला संयोजक प्रो भीमा मनराल ने कहा कि कक्षा में शिक्षण की क्रियाओं तथा सहायक सामग्री की पूर्ण प्रयोग एवं संवादात्मक कौशल काफी अहम है। कहा कि नई शिक्षा नीति के अनुरूप शिक्षकों को पाठ योजना और शिक्षण शास्त्र की सही जानकारी होनी चाहिए। कहा कि विद्यालयों के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए विशेष पाठ योजना की आवश्यकता है। इससे पहले शिक्षा संकाय के सभागार में कार्यशाला का शुभारंभ शिक्षा संकाय अध्यक्ष प्रो भीमा मनराल ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कार्यशाला की समन्वयक डॉ संगीता पवार ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए शिक्षण शास्त्र पाठ योजना वर्कशॉप की बारीकियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आज के दौर में शिक्षकों को नवाचारी तकनीकों से रूबरू होना जरूरी है। साथ ही हिंदी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान की सही पाठ योजना का प्रारूप पता होना भी जरूरी है।
इस कार्यशाला में सोबन सिंह जीना शिक्षा संकाय के प्राध्यापक डॉ भास्कर चौधरी, डॉ ममता असवाल, डॉ नीलम, डॉ देवेंद्र चम्याल, नूर बानू एवं विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यलयों से आये प्राध्यापक, शोधार्थी, बीएड और एमएड छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।