धौलछीना (अल्मोड़ा) – उत्तराखंड के कुछ युवा उत्तराखंड की पौराणिक पारंपरिक लोक कला ऐपण को राखियों में उतार रहे हैं। ऐपण वाली राखियों से युवाओं को स्वरोजगार का एक नया अवसर दिया है। अपनी पारंपरिक लोक कला के प्रचार प्रसार के साथ ही ऐपण वाली राखियां चाइनीज राखियों का एक मजबूत विकल्प बन रहा है। विकासखंड के सल्ला गांव की बेटी मोनिका टम्टा लोककला ऐपण पर आधारित राखियां बना रही है। मोनिका ने इस वर्ष राखी के लिए बहुत ही सुंदर ऐपण वाली राखियां बनाई है। राखियों की खरीद के लिए डिमांड भी आ रही है। इन राखियों को लोग काफी पसंद भी कर रहे हैं। ऐपण वाली कई राखियों में कुमाऊनी बोलचाल के शब्दों का भी इस्तेमाल किया गया है। मोनिका का कहना है कि अगर इस कला को प्रोत्साहन मिल जाए तो इससे ग्रामीण महिलाओं की आय पर भी इजाफा होगा साथ ही लोकल फार वोकल को भी बढ़ावा मिल सकेगा। तथा उत्तराखंड के बाजार में चीन की राखियों को टक्कर देने के लिए एक विकल्प के रूप में ऐपण वाली राखियां महत्वपूर्ण किरदार अदा कर सकती है। अपने पिता ग्राम प्रधान बलवान टम्टा से प्रेरणा लेकर मोनिका ने गांव के गरीब बच्चों को मुफ्त में राखियां देने का निर्णय लिया है। मोनिका न केवल राखियों में ऐपण कला उकेर रही है बल्कि पूजा के थाल, चौकी, कलश, पोस्टर, फोटो फ्रेम, तथा पूजा के कपड़ों पर भी ऐपण से सुंदर चित्रकारी कर लोककला के प्रचार प्रसार में योगदान दे रही है।