देवदार
आओ सब कुछ सुलभ कर देते हैं।
सब सपाट और चौड़ा कर देते हैं।
देवदार तुम तो कब से ठेकेदार के थे।
तुम्हें लगा होगा तुम सबसे लंबे हो,
अब पता चला तुम से लंबे वो हैं,
उनकी पहुंच है, उनका रुतबा है।
तुम किस अकड़ में थे बे?
अब क्या आसमान छू लोगे?
नहीं नहीं भाई ,आसमान सिर्फ उनका है।
सुना था  तुम्हारी खुशबू से सांप नहीं आते,
झूठ था सब,
सब वहम था,
सच होता,
तो तुम्हारी खुशबू से
उनकी छाती पर  सांप न लोटते।
अबे तुम मेरी कुर्सी बनोगे
और जब तुम उजड़ जाओगे,
तो मेरे कमरे के कोने का एंटीक पीस होगे।
कब तक जंगल में रहोगे जंगली,
आओ तुम्हें सभ्य बनाएं।
तुम्हें मॉर्डन बनाएं।
देव तुम भी सुन लो
अब ये दार तुम्हारे नहीं,
ये दार सिर्फ ठेकेदार के हैं
और वही आज का देवता है।

@विरेंद्र