सर्वदलीय महिला समिति  की सचिव गीता मेहरा ने बताया कि पारुल गैरोला अपर सत्र न्यायाधीश अल्मोड़ा ने सर्वदलीय महिला समिति द्वारा सचिव लीला बोरा  जिला अल्मोड़ा द्वारा विपक्षीगण गीता महरा, मोना भैसोड़ा, विध्या विष्ट, दुरायन्त पाण्डे के विरुद्ध एक निगरानी दायर की गई थी जिसे माननीय न्यायालय द्वारा निरस्त कर दिया।
उपरोक्त मामले के वास्तविक तथ्य इस प्रकार है, कि अल्मोड़ा में एक सर्वदलीय महिला संस्था इस उद्देश्य के लिए बनाई गई कि इस संस्था के माध्यम से  महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में समाज कल्याण व अन्य सामाजिक कार्यों के लिए संस्था का पंजीकरण 2015 में किया गया था। इस संस्था की अध्यक्ष मीना भैसोडा, उपाध्यक्ष विद्या बिष्ट व सचिव लीला बोरा जो इस मामले के निकरानी कर्ता है संग्रक्षक लता पाण्डे , कोषाध्यक्ष लता तिवारी,जया मेहता व लक्ष्मी बोरा सदस्य थी एवं गीता मेहरा को इस संस्था में नाम न दर्ज होने पर भी उसे विपक्षी बनाया गया था।
सर्वदलीय महिला संस्था अल्मोडा अपना सुचारू पूर्वक सामाजिक कार्य कर रही थी तो लीला बोरा द्वारा समिति के विरुद्ध कार्य किया जाने लगा तो उसे संस्था विरुद्ध कार्य करने के कारण समिति के सचिव पद से हटा दिया गया, तथा संस्था का पंजीकरण २० २० में समाप्त हो गया, और पुनः नवीनीकरण न होने से संस्था अजीकृत श्रेणी में आ गयी।

संस्था के सचिव पद से लीला बोरा को  हटाने के कुछ समय बाद उसने महिला समिति के अन्य पदाधिकारियों के विरुद्ध एक रिपोर्ट कोतवाली व S.P को दी। जिसमे संस्था अपजीकृत होने में रिपोर्ट नहीं हुई। पुनः लीला बोरा ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अल्मोड़ा के न्यायालय में धारा 156 (3) का मुकद‌मा दायर किया, जो कि माननीय न्यायालय ने सही न पाते हुए निरस्त कर दिया।

इसके बाद लीला बोरा ने  मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय के विरुद्ध एक निगरानी माननीय जिला सत्र न्यायाधीश अल्मोड़ा के न्यायालय में दायर की जो बाद में श्रीमान अपर सत्र -यायाधीश अल्मोडा के न्यायालय में स्थान्तरित कर दी गई।

विद्वान अपर सत्र-यायाधीश पारुल गैरोला ने विपक्षीगण संख्या ।- न्याय के अधिवक्ता दिवान सिंह विष्ट एवं विपली संस्था ५-के अधिवक्ता विनोद लोह‌न‌ी के तर्को को सुना एवं पत्रावली पर मौजूद दस्तावेज साक्ष्यों को देखने के तत्पश्चात लीला वोरा द्वारा दायर किया गया निगरानी बाद में बल न पाते हुए उसे निरस्त कर दिया गया तथा माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अल्मोडा के आदेश को यथावत रखा।