गर्व की बात है कि आज कोरोना से लड़ने वालों में एक तरफ हर कोई पुलिस, स्वास्थ्य, सफाई मित्र और प्रशासन के लोगों के काम को देख कर वाहवाही करता नजर आ रहा है जो स्वाभाविक भी है। लेकिन दुर्भाग्य ये है इन सभी के कार्यों को आम आदमी तक पहुँचाने वाले पत्रकारों के लिए ये महामारी बहुत गहरा संकट ले कर आई है। गली गली घूमने वाले पत्रकार आज इस महामारी का शिकार होते नजर आ रहे हैं। इस मुश्किल दौर में कई बड़े अखबारों और चैनलों ने पत्रकारों को वेतन न देने के कारण निकलना शुरू कर दिया है। सच्चाई दिखाने वाला किसी को अपनी सच्चाई बयाँ तक नहीं कर पा रहा है। इस दुःख के समय पत्रकारों के साथ कोई नजर नहीं आ रहा है। छोटे पेपर हो या पोटल तो दम तोड़ने पर मजबूर होते नजर आ रहे हैं। खबरों को छपाने के लिए कभी जो नेता मीडिया को सर आँखों पर बैठते नजर आते थे वहीं आज महामारी में खबर छपाने को सब दिखते है पर सुध लेने वाले कोई नहीं। इस मंदी में पत्रकार दम तोड़ने को मजबूर नजर आ रहे हैं।