अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सतपाल सिंह बिष्ट ने कहा कि स्वामी विवेकानंद एक व्यक्ति नहीं वरन एक संस्थान थे, उनके नाम पर कई देशों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शोध एवं अनेक शिक्षण संस्थान चल रहे है। कहा कि उनके विचारों, आदर्शों, कार्यों, संस्कारों, धर्म को पाठयक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। जिसके लिए विश्वविद्यालय के विभिन्न परिसरों के निदेशकों, संकायाध्यक्षों, विभागाध्यक्षों एवं विवि के काॅडिनेटरों के साथ बैठक कर स्वामी जी के समृद्ध साहित्य पर पाठ्यक्रम तैयार करेंगे।
यह बात शनिवार को सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के आॅडिटोरियम में रामकृष्ण कुटीर और शिक्षा संकाय की ओर से भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में स्वामी विवेकानंद के विचारों का समावेश पर आयोजित एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो सतपाल सिंह बिष्ट ने कहीं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विवेकानंद के विचारों का समावेश किया गया है। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद पर हमारे एसएसजे परिसर में एक केंद्र है, उनका प्रयास रहेगा कि वहां उत्कृष्ट साहित्य उपलब्ध कराया जाएगा। पूर्व कुलपति प्रो जगत ंिसंह बिष्ट ने कहा कि भारत के आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद का पूरा जीवन ही युवाओं के लिए प्रेरणा है। एक 25 साल का नौजवान सांसारिक मोह माया छोड़ आध्यात्म और हिंदुत्व के प्रचार प्रसार में जुट गया। संन्यासी बन ईश्वर की खोज में निकले विवेकानंद के जीवन में एक दौर ऐसा आया, जब उन्होंने पूरे विश्व को हिंदुत्व और आध्यात्म का ज्ञान दिया।
शिक्षा संकाय की डीन व विभागाध्यक्ष प्रो भीमा मनराल ने कहा कि स्वामी जी ने पूरे विश्व को हिन्दू धर्म, आध्यात्म और संस्कारों से जोड़ने की सीख दी है। इसलिए आज के दौर में प्रत्येक मनुष्य को चाहे वह किसी भी धर्म जाति का हो उसे स्वामी जी के विचारों को आत्मसात करना चाहिए। रामकृष्ण कुटीर अल्मोड़ा के अध्यक्ष स्वामी ध्रुवेशानंद महाराज ने कहा कि आज भी स्वामी जी के विचार, आध्यात्म और योग युवा पीढ़ी के लिए अनुसरण योग्य है। हर युवा को स्वामी जी के विचारों को आत्मसात कर उनके बताए गए मार्ग पर चलने का प्रयास करना होगा। वहीं, लोहाघाट मायावती आश्रम के अध्यक्ष स्वामी शुद्धिदानंद महाराज ने कहा कि व्यक्ति को व्यक्ति सें भेदभाव नहीं करना चाहिए। विवेकानंद जी के दर्शन को केवल पढ़ना ही नही चाहिए अपितु उनके आदर्शों को जीवन में आत्मसात करना चाहिए उनकी बातों को विद्यार्थियों को जीवन में आत्मसात करना चाहिए। इस अवसर पर न्यूजीलैंड, क्रोशिया, यूएसए और बांग्लादेश से अनेक शिक्षाविदों ने वर्चुअल माध्यम से सेमीनार में भागीदारी कर अपने अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर साढ़े तीन सौ से अधिक शोध पत्रों का वाचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ चंद्र प्रकाश चंद्र फुलोरिया ने किया। इस मौके पर रामकृष्ण मिशन आश्रम के सचिव स्वामी आत्मश्रद्धानंद महाराज, बाग्लादेश विवि ढाका के प्रो मिल्टन देव, स्विट्जरलैड के डाॅ आशुतोष उर्स स्ट्रोबेल, रामकृष्ण बेलुर मठ के स्वामी वेदनिष्ठानंद महाराज, क्रोशिया की शिक्षाविद् मरीना, प्रो भीमा मनराल, प्रो केएन पांडे, प्रो हामिद अंसारी, प्रो शेखर चंद्र जोशी, डाॅ रिजवाना सिद्दीकी, डाॅ ममता असवाल, डाॅ संगीता पंवार, भाजयुमो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुंदन लटवाल, मनदीप टम्टा, विनोद कुमार, अशोक उप्रेती, पूजा, डाॅ संदीप पांडे, राजेंद्र खाती, कुसुम, पूजा, मनीषा, मंजरी तिवारी, अंजलि, योगेश एव बीएड एवं एमएड शोधार्थी मौजूद रहे।