गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान, कोसी कटारमल, अल्मोड़ा के पर्यावरण आकलन और जलवायु परिवर्तन केंद्र (सीईएएंडसीसी) ने “एरोसोल और जलवायु परिवर्तन का हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र में प्रभाव” विषय पर “आजादी का अमृत महोत्सव” मनाते हुए कश्मीर विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों, खतरों को गहराई से समझने तथा जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले जोखिम के प्रबंधन के बारे में बेहतर समझ विकसित कर जागरूकता और ज्ञान का विस्तार करना था।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए डॉ. मिथिलेश सिंह (वैज्ञानिक- डी) ने कार्यक्रम के विषय पर संक्षिप्त में जानकारी दी और कश्मीर विश्वविद्यालय से डॉ. इरफान राशिद (सहायक प्राध्यापक) तथा सभी विद्यार्थियों का स्वागत किया। कार्यक्रम की पहल करते हुये डॉ. इरफान राशिद ने अपना परिचय दिया और अपने अनुसंधान क्षेत्र के बारे में संक्षिप्त में जानकारी दी। उनका शोध कार्य पौधों और पारिस्थितिक तंत्र पारिस्थितिकी में विभिन्न प्रकार के विषयों को शामिल करता है। इसी कड़ी में, डॉ जे.सी. कुनियाल (वैज्ञानिक-जी,अध्यक्ष,सीईएएंडसीसी) ने ऐरोसोल एवं जलवायु परिवर्तन विषय के बारे में व्याख्यान देते हुए सभी प्रतिभागियों को ऐरोसल के हानिकारक प्रभावों के बारे में अवगत कराया।
उन्होने अपनी प्रस्तुति से छात्रो को समझाया की कैसे हिंदुकुश हिमालय में विभिन्न जलवायु चालक जेसे तापमान भिन्नता, बाढ़, बादल फटना जैसी प्राकृतिक आपदाए बढ़ रही है। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों से अपने प्रश्न पूछने के लिए आग्रह किया गया। डॉ जे.सी. कुनियाल ने प्रतिभागियों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए सभी को धन्यवाद दिया।
इसके अलावा, सभी प्रतिभागियों को संस्थान की विभिन्न प्रयोगशालाओं, सूर्यकुंज, ग्रामीण प्रौद्योगिकी केंद्र आदि का भ्रमण करवाया गया।
कार्यक्रम के अंत में प्रो. सुनील नौटियाल (निदेशक, जीबीपीएनआईएचई) ने उपस्थित सभी प्रतिभागियों को अपने विचारो से प्रेरित कर उनका स्वागत और आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का समापन डॉ जे.सी. कुनियाल (वैज्ञानिक-जी,अध्यक्ष,सीईएएंडसीसी) द्वारा अपने विचार अभिव्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने निदेशक महोदय और सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया, जिन्होंने कार्यक्रम की सफलता में योगदान दिया।
कार्यशाला में कश्मीर विश्वविद्यालय के 13 छात्रों ने प्रतिभाग किया. कार्यशाला के दौरान संस्थान की ओर से डा० ए०के० सहानी, डा० सतीश आर्य, डा० मिथिलेश सिंह, डा० के०एस० कनवाल तथा डा० सुबोध ऐरी ने प्रतिभाग किया।