गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी कटारमल अल्मोड़ा के जब विविधता संरक्षण एवं प्रबंधन केन्द्र द्वारा आज एक दिवसीय कार्यक्रम हिमालयी क्षेत्र में औषधीय पादपों की विविधता एवं महत्व का आयोजन वेबिनार माध्यम से किया गया है जिसका मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में पर्यावरण एवं उसके संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना है इसी कार्यक्रम के अन्तर्गत आज दिनांक 18 जनवरी 2023 को नैनीताल जनपद के कोटाबाग विकासखण्ड के विभिन्न विद्यालयों रा०३०का० कोटाबाग, रा०इका० कनकपुर, राइका० बैलपदाव, राबाइका० कालाढूंगी के लगभग 90 छात्र-छात्राओं शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं संस्थान के शोधार्थियों, वैज्ञानिकों ने प्रतिभाग किया। इस कार्यक्रम को प्रारम्भ करते हुए डा० अमित बहुखण्डी द्वारा सभी प्रतिभागियों का स्वागत अभिनन्दन किया गया। उनके द्वारा कार्यक्रम की रूपरेखा एवं संस्थान का संक्षिप्त परिचय एवं उद्देश्यों से सभी को अवगत कराया गया। उन्होने बताया कि संस्थान का जैव विविधता संरक्षण एवं प्रबंधन केन्द्र विगत 34 वर्षों से हिमालयी जैव विविधता के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु विविध जागरूकता एवं संवेदीकरण कार्यशालालों का आयोजन करता आया है जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय जनसमुदाय, विद्यार्थियों जनप्रतिनिधियों को अपने आसपास के जैव विविधता का आकलन करना जैव विविधता एवं पर्यावरण सरक्षण जैसे बहुमूल्य विषयों पर प्रशिक्षण एवं ज्ञान प्रेषित करना है। इसी कम को आगे बढाते हुए आज का एक दिवसीय कार्यक्रम हिमालयी क्षेत्र में उपस्थित औषधीय पादपों को विविधता एवं महत्वता विषय पर आधारित है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री अंशुल बिष्ट खण्ड शिक्षा अधिकारी कोटाबाग नैनीताल द्वारा संस्थान के इस महल का स्वागत करते हुए सभी प्रतिभागियों को जैव विविधता संरक्षण में बढ़-चढ़कर भागीदारी सुनिश्चित करने की बात कही गई। श्री विष्ट द्वारा कोटाबाग ब्लॉक के सभी छात्र-छात्राओं को विद्यालय परिसर में औषधीय पादपों की नर्सरी तैयार करने एवं उनके उपयोगों के विषय पर जानकारी एकत्रित करने एवं भविष्य में पर्यावरण संस्थान से सहयोग लेने की बात कही गई। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा० के० एस० कनवाल द्वारा हिमालयी जैव विविधता एवं औषधीय पादपों की महत्वता विषय पर प्रस्तुतिकरण करते हुए विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया। उन्होने जलवायु परिवर्तन द्वारा जैव विविधता पर होने वाले दुष्प्रभावों ास आदि विषयों पर जानकारी प्रदान की तथा यह बताया कि वर्तमान समय में बुराश, काफल जैसे विविध पादपों के फिनोलॉजी चक में परिवर्तन देखने को मिल रहा है जैसे कि दुराश में समय से पूर्व फूल आना, काफल का जल्दी पकना आदि है एवं इनके वैज्ञानिक कारणों का गहन अध्ययन करना अति आवश्यक है। साथ ही, डा० फलवाल ने यह भी बताया कि किस प्रकार संस्थान सभी उच्च हिमालयी औषधीय पादपों जैसे कि कुटकी, कूट अतीस, वनहल्दी, सम्यों आदि को कृषिकरण द्वारा संरक्षित कर रहा है तथा हिमालयी जनसमुदाय की आजीविका दृद्धि में सहयोग कर रहा है। उनके द्वारा विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के प्रतिभाग द्वारा औषधीय पादप नर्सरी की स्थापना करना, पर्यावरण के प्रति लगाव बढ़ाने हेतु ईको कैम्प, प्रकृति शिविर आदि को बनाने की बात कहीं गई। इसी कम में श्री दीप चन्द्र तिवारी द्वारा औषधीय पादपों के जीवन चक, नर्सरी स्थापना, बीज एवं फल एकत्रीकरण विषयों पर जानकारी दी गयी गई। कार्यक्रम के समापन में हिमानी तिवारी द्वारा संस्थान निदेशक प्रो० सुनील नौटियाल, जैव विविधता संरक्षण एवं प्रबंधन केन्द्र प्रमुख डा० आई०डी० भट्ट श्री अंशुल बिष्ट खण्ड शिक्षा अधिकारी कोटाबाग नैनीताल, प्रधानाचार्य राइका० कोटाबाग, राइका० कनकपुर राइट बैलपडाय राज्याइका० कालागी छात्र-छात्राओं शिक्षक शिक्षिकाओं एवं संस्थान के वैज्ञानिकों शोधार्थियों को सफलतम संचालन हेतु धन्यावाद प्रेषित किया गया।