अल्मोड़ा जिले के बक्शीखोला जो कि धुनी मंदिर वार्ड में आता है, वहां हाल ही में एक खाली पड़े मकान में आग लगने की घटना ने एक गंभीर चिंता का विषय उत्पन्न किया है। यह घटना केवल आग लगने की घटना तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसके साथ ही क्षेत्र में बढ़ते अराजक तत्वों और नशेड़ी गतिविधियों का भी पर्दाफाश हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, आग को अराजक तत्वों द्वारा जानबूझकर लगाया गया था। इसके बाद क्षेत्र के पार्षद अमित साह मोनू, अर्जुन बिष्ट, गोलू भट्ट, कैलाश गुरुरानी और फायर ब्रिगेड के कर्मियों ने मिलकर आग पर काबू पाया और किसी प्रकार की बड़ी दुर्घटना को टालने में सफलता प्राप्त की।
यह घटना केवल एक आगजनी की घटना नहीं है, बल्कि यह एक बड़े सामाजिक मुद्दे की ओर इशारा करती है। पार्षद अमित साह मोनू ने इस घटना के बाद पुलिस प्रशासन से अपील की है कि खाली पड़े मकानों की जांच की जाए, क्योंकि ऐसे स्थानों पर अराजकतत्वों और नशेड़ियों का जमावड़ा लगता है। पार्षद का यह कहना सही है कि ऐसे खाली पड़े मकान न केवल असुरक्षित हैं, बल्कि यह समाज के लिए एक खतरे के रूप में बदल गए हैं। इन स्थानों का इस्तेमाल नशा करने वाले, अपराधी और अन्य असामाजिक तत्व अपनी गतिविधियों के लिए करते हैं, जो पूरे इलाके के लिए खतरे की घंटी है।
अल्मोड़ा जिले में खाली पड़े मकानों का यह मुद्दा केवल बक्शीखोला तक ही सीमित नहीं है। पूरे शहर में ऐसी जगहों की संख्या बढ़ती जा रही है, जहां पर नशेड़ी और अराजक तत्व जमा हो जाते हैं। प्रशासन को इन स्थानों पर नियमित निगरानी रखने की आवश्यकता है, ताकि इन जगहों का सही तरीके से उपयोग हो सके और यह असामाजिक गतिविधियों का अड्डा न बन सकें।
खाली पड़े मकान जहां से अक्सर चोरी, आगजनी और नशे की घटनाएं होती हैं, वहां सुरक्षा इंतजामों का होना आवश्यक है। यदि प्रशासन इन स्थानों की नियमित निगरानी करें और वहां पर सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था करें, तो कई अपराधों और दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है। इसके अलावा, लोगों को भी जागरूक करना होगा कि वे ऐसे स्थानों को नशेड़ी गतिविधियों के लिए उपयोग न करने दें। स्थानीय लोग यदि प्रशासन के साथ मिलकर काम करें, तो इन समस्याओं को नियंत्रित किया जा सकता है।
नशे की आदतें और अराजक तत्वों की बढ़ती गतिविधियाँ न केवल समाज की सुरक्षा के लिए खतरे का कारण बनती हैं, बल्कि यह युवा पीढ़ी के भविष्य को भी प्रभावित करती हैं। ऐसे स्थानों को नशे की आदतों से मुक्त कर, उन पर सकारात्मक गतिविधियों और पुनर्निर्माण कार्यों को बढ़ावा देने से समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
अल्मोड़ा जिले के प्रशासन को इस मामले में सख्त कदम उठाने चाहिए। खाली पड़े मकानों की नियमित जांच, स्थानीय पुलिस की गश्त और जागरूकता अभियान के माध्यम से इस समस्या को हल किया जा सकता है। इसके साथ ही, स्थानीय नेताओं और नागरिकों को भी इस मुद्दे में सक्रिय रूप से भाग लेने की जरूरत है, ताकि हम अपने समाज को सुरक्षित और सुखी बना सकें।
इस तरह की घटनाओं के समाधान के लिए प्रशासन को पूरी गंभीरता से काम करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके और समाज में शांति और सुरक्षा बनी रहे।