अल्मोड़ा, 27 फरवरी 2025: राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर मानसखंड विज्ञान केंद्र, अल्मोड़ा में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें 130 से अधिक छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET) की छात्राओं सहित विभिन्न विद्यालयों के विद्यार्थी उपस्थित रहे। गणित और विज्ञान के प्रति जागरूकता फैलाने तथा महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के योगदान को स्मरण करने के उद्देश्य से इस आयोजन को विज्ञान महोत्सव के अंतर्गत आयोजित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री सी.एस. बिष्ट, जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक शिक्षा) थे, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में DIET के प्राचार्य श्री एल.एम. पांडे उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत मानसखंड विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. नवीन चंद्र जोशी के उद्घाटन भाषण से हुई। डॉ. जोशी ने विज्ञान और गणित की शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि गणित केवल संख्याओं का खेल नहीं है, बल्कि यह तार्किक सोच और समस्या समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण आधारशिला है। उन्होंने रामानुजन के गणितीय योगदान को अतुलनीय बताया और कहा कि उनके शोध कार्यों ने गणित के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए हैं।
डॉ. जोशी ने यह भी बताया कि मानसखंड विज्ञान केंद्र छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है, जहां वे विज्ञान और गणित को प्रयोगात्मक रूप से समझ सकते हैं। उन्होंने छात्रों को प्रेरित किया कि वे गणित और विज्ञान में अपनी रुचि बढ़ाएं और नए विचारों को अपनाएं। उन्होंने यह भी कहा कि रामानुजन के गणितीय सूत्र आज भी शोधकर्ताओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।
इस अवसर पर उत्तराखंड राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (UCOST) के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने वर्चुअल माध्यम से छात्रों एवं उपस्थित अतिथियों को संबोधित किया। उन्होंने विज्ञान केंद्रों की उपयोगिता को रेखांकित करते हुए कहा, “हमारा उद्देश्य विज्ञान एवं गणित को ग्रामीण और शहरी छात्रों के लिए समान रूप से सुलभ बनाना है। मानसखंड विज्ञान केंद्र इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। गणित एक ऐसा विषय है, जो सोचने-समझने की क्षमता को विकसित करता है और नवाचार को बढ़ावा देता है।”
विशिष्ट अतिथि डॉ. एल.एम. पांडे ने गणित के दैनिक जीवन में महत्व को समझाया। उन्होंने कहा कि गणित केवल संख्याओं या समीकरणों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे निर्णय लेने की क्षमता को भी प्रभावित करता है। मुख्य अतिथि श्री सी.एस. बिष्ट ने ग्रामीण क्षेत्रों में गणित और विज्ञान को लोकप्रिय बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हमें विज्ञान एवं गणित को सैद्धांतिक रूप से पढ़ाने के बजाय इसे व्यावहारिक और प्रयोगात्मक रूप से प्रस्तुत करना चाहिए, ताकि छात्र इसकी वास्तविक उपयोगिता को समझ सकें।”
इस अवसर पर छात्रों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इनमें पोस्टर प्रतियोगिता, व्याख्यान, वाद-विवाद एवं आशु भाषण जैसी गतिविधियाँ शामिल थीं। कनिष्ठ और वरिष्ठ वर्गों में इन प्रतियोगिताओं के लिए प्रमुख विषय निर्धारित किए गए थे, जैसे- जलवायु परिवर्तन: कारण एवं प्रभाव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की उपयोगिता एवं दुष्परिणाम, विकसित भारत के लिए विज्ञान और नवाचार में वैश्विक नेतृत्व के लिए भारतीय युवाओं को सशक्त बनाना, और वनाग्नि: उपयोगिता एवं दुष्परिणाम।
प्रतियोगिताओं के निर्णायक मंडल में डॉ. सरिता पांडे, डॉ. उत्कर्ष कुमार, डॉ. एस.एस. सामंत, डॉ. जी.सी.एस. नेगी, डॉ. आई.डी. भट्ट, डॉ. धनी आर्या, डॉ. पी.एस. नेगी, नमिता टम्टा, और ई. दीप बिष्ट शामिल थे। निर्णायकों ने छात्रों की प्रस्तुतियों की सराहना की और उन्हें अपने वैज्ञानिक विचारों को और सशक्त करने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर डॉ. बी.सी. पांडे, जिला विज्ञान समन्वयक ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। उन्होंने उपस्थित अतिथियों, निर्णायकों, छात्रों और आयोजकों का आभार व्यक्त किया और विशेष रूप से प्रो. दुर्गेश पंत का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद की ओर से प्रदान किए गए समर्थन और संसाधनों के लिए धन्यवाद किया।
इस सफल आयोजन ने छात्रों को विज्ञान और गणित की नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए प्रेरित किया और रामानुजन की विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस कार्यक्रम के आयोजन से छात्रों में गणित और विज्ञान के प्रति रुचि और जागरूकता बढ़ी और वे इन क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं को और सशक्त करने के लिए प्रेरित हुए।
राष्ट्रीय गणित दिवस समारोह: विज्ञान महोत्सव के अंतर्गत श्रीनिवास रामानुजन को किया गया स्मरण

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