पूर्व मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने एक ज्ञापन माननीय मुख्यमंत्री जी उत्तराखण्ड सरकार देहरादून को प्रेषित कर अवगत कराया कि अल्मोड़ा नगर के समस्त मोहल्ले व आस -पास के ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों पेयजल संकट गहराया हुआ है । नगर के मोहल्लों में सप्ताह में एक या दो बार पानी की आपूर्ति हो पा रही है और वह पानी भी पीने योग्य नहीं है । गर्मी एवं बरसात की शुरूआत में ही पेयजल संकट भी गहराता जा रहा है । जिस कारण अल्मोड़ा की पेयजल समस्या एक गंभीर चिन्ता का विषय बनते जा रही है । इस प्रकरण पर सरकार/विभाग द्वारा गम्भीरतापूर्वक विचार कर इसका स्थाई समाधान निकाले जाने का कोई प्रयास नहीं किया जिसका खामियाजा आज जनता को भुगतना पड़ रहा है । जहां गर्मी में पानी की कमी ,वहीं बरसात में सिल्ट आ जाने का बहाना बनाया जाना आम हो गया है । जब पानी की आपूर्ति सम्बन्धी वार्ता जल संस्थान के अधिकारियों से की जाती है तो विभाग कोसी नदी में सिल्ट(गाद) आने के कारण पंपों के संचालन में अवरोध आने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं । अल्मोड़ा शहर व उसके आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में माह अपै्रल 20 से ही पानी की गम्भीर समस्या बनी हुई है ।
ज्ञापन में कर्नाटक ने कहा कि ऐतिहासिक नगर अल्मोड़ा आज पानी की कमी के कारण अपने अस्तित्व को खोते जा रहा है ,जहां एक ओर जनता में कोरोना की मार अपना असर दिखा रही है वहीं दूसरी ओर प्रातः काल से ही लोग पानी के इंतजार में अपना समय बरबात करने को मजबूर हो रहे हैं । विभागीय अधिकारी अनियन्त्रित हैं एवं सरकार की कमियां बता कर अपना समय काट रहे हैं । यदि यही स्थिति रही तो मजबूरन हमें विभाग के खिलाफ उग्र आन्दोलन करने को विवश होना पड़ेगा जिसका पूर्ण उत्तरदायित्व सरकार एवं विभाग का होगा ।
उन्होंने कहा कि इस कोरोना काल में पानी का बिल व बढ़ी हुई दरें किस प्रकार वसूली जा रही हैं । कोरोना काल में आम जनता आर्थिक रूप से कमजोर हो गयी है ऐसी स्थिति में लाकडाउन अवधि का पूर्ण जल मूल्य माफ किया जाना चाहिये था जो नहीं किया गया ।
कर्नाटक ने बयान में कहा कि यदि एक सप्ताह के भीतर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा पेयजल सुचारू करने एवं विधिवत् रूप से जल आपूर्ति करने का काम नहीं किया जाता तो हमें जन सहयोग से विभाग व सरकार के खिलाफ आवाज उठाने को बाध्य होना पड़ेगा ।