गो०ब० पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा के ग्रामीण तकनीकी परिसर में उत्तराखण्ड राज्य आजीविका मिशन (यु.एस.आर.एल.एम.) के अन्तर्गत उत्तराखण्ड के चमोली, उत्तरकाशी, उधम सिंह नगर, बागेश्वर एवं पिथौरागढ़ के 30 सी.एल.एफ. सदस्यों हेतु पर्वतीय क्षेत्रों में एकीकृत मत्स्य पालन विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम दिनांक 14-16 दिसम्बर, 2022 तक आयोजित किया गया।
प्रशिक्षण शिविर की शुरुआत संस्थान की वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं ग्राम्य विकास विभाग भारत सरकार के नोडल अधिकारी डा० पारोमिता घोष ने की, उन्होंने कार्यक्रम की रूपरेखा देते हुए संस्थान के द्वारा ग्राम्य विकास में किये जा रहे कार्यों से अवगत कराया। इस अवसर पर उपस्थित अमन संस्था के निदेशक श्री रघुवर दत तिवारी ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कृषि उत्पादों के विपणन पर जानकारी दी। तत्पश्चात डा. दीपा बिष्ट ने प्रतिभागियों को एकीकृत मत्स्य पालन पर विस्तृत जानकारी देते हुए उनके द्वारा तैयार किये गये समन्वित मत्स्य पालन के मॉडलों के सफल उदाहरण भी पी.पी.टी. के माध्यम से दिखाये। प्रशिक्षण के दृतीय सत्र में डा. ऐ. के. साहनी ने प्रतिभागियों को पारिस्थिकीय पर्यटन एवं मत्स्य पालन एक आजीविका का साधन पर की विस्तृत जानकारी देते हुए सफल एवं प्रगतिशील कृषकों के भी उदाहरण प्रस्तुत किये। तत्पश्चात संस्थान के वैज्ञानिक डा. शैलजा पुनेठा ने प्रतिभागियों को समन्वित कृषि प्रणाली एवं सब्जी उत्पादन की पर गहन प्रशिक्षण दिया। प्रथम दिवस के अन्त में परियोजना प्रबन्धक डा. डी. एस. चौहान ने प्रतिभागियों को ग्रामीण तकनीकी परिसर में प्रदशित पर्यावरण मित्र सरल एवं सस्ती तकनीकी की जानकारी देते हुए तकनीकी क्षेत्र का भ्रमण भी कराया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम दितीय दिवस के प्रथम सत्र में जिला रेखीय विभाग (मत्स्य पालन) की वरिष्ठ इन्सैक्टर मत्स्य, श्रीमती उमा नेगी ने प्रतिभागियों को पर्वतीय क्षेत्रों में पाली जाने वाली मछलियों के बारे में विस्तृत में जानकारी देते हुए राज्य सरकार की मत्स्य पालन एवं किसानों हेतु चलाई जा रही सभी योजनाओं की विस्तृत जानकारी प्रदान की। तत्पश्चात संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा० पारोमिता घोष एवं संस्थान के पर्यावरणीय सूचना, जागरूकता क्षमता निर्माण एवं आजीविका कार्यक्रम केन्द्र में कार्यरत डा० महेशानन्द एवं श्री कमल टम्टा ने प्रतिभागियों को ऑन लाइन मार्केटिंग प्लेटफार्म (ई-सारस आजीविका) पर उत्पाद बेचने की गूढ़ जानकारी दी। प्रशिक्षण के तृतीय सत्र में पशुपालन विभाग, हवालबाग के डा0 मुकेश पाण्डे ने प्रतिभागियों को समन्वित मत्स्य पालन में मुर्गी पालन तथा उनका रखरखाव, पोषण, बीमारियों से रोकथाम एवं विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की सविस्तार जानकारी दी। प्रशिक्षण के अन्तिम एवं प्रयोगात्मक सत्र में डा. दीपा बिष्ट एवं डी.एस. बिष्ट ने प्रतिभागियों को मछली पालन हेतु तालाब निर्माण एवं उसका प्रबन्धन पर प्रयोगात्मक जानकारी दी।
प्रशिक्षण के तृतीय दिन के प्रथम सत्र में प्रतिभागियों को डा० शैलजा पुनेठा, डा० दीपा बिष्ट एवं श्री डी० एस० बिष्ट ने ज्योली क्लस्टर के प्रगतिशील कृषक के फार्म का भ्रमण कराया जहॉ क्लस्टर के प्रगतिशील कृषक मनोज उपाध्याय ने अपना एकीकृत समन्वित मत्स्य पालन का मॉडल दिखाते हुए अपने अनुभवों से अवगत कराया तथा एकीकृत कृषि प्रणाली को उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों के लिए लाभकारी बताया। प्रशिक्षण शिविर के अन्तिम सत्र में प्रतिभागियों को संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा० पारोमिता घोष एवं शैलजा पुनेठा ने प्रशिक्षण के प्रमाण पत्र वितरित किये। इस अवसर पर प्रतिभागियों ने अपने विचार रखते हुए प्रशिक्षण को अपने क्लस्टर के लिए बहुत उपयोगी बताया तथा प्रतिभागियों ने सभी का वाटस्प ग्रुप बनाकर जानकारी साझा करने को उपयोगी बताया। इस अवसर पर डा० ऐ०के० साहनी, डा० देवेन्द्र चौहान, देवेन्द्र बिष्ट, मनोज बिष्ट, सौरभ, दिवान, धरम, एवं विजय की उपस्थित थे।