अल्मोड़ा – वीर बाल दिवस गुरुद्वारा में अरदास कर मनाई।भाजपा जिलाध्यक्ष रमेश बहुगुणा ने कहा सिखों के दसवें गुरु श्री गोविंद सिंह जी के दोनों छोटे साहबजादो के बलिदान दिवस को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। 26 दिसंबर 2022 में इसे पहली बार मनाया गया।गुरु जी के दोनों छोटे साहबजादों को इसी दिन सन् 1704 में मुगल शासक औरंगजेब द्वारा शहादत दी गई थी।उस समय दोनों बाबा जोरावर सिहं जी,बाबा फतेह सिंह जी बाबा सहिबजादो की उम्र उस समय मात्र 09 वर्ष और छोटे बेटे की उम्र 06 वर्ष की थी। बालअवस्था के इस बाल रूप में साहबजादो को इस्लाम कबूल लेने के लिए कहा गया परंतु उन्होंने निडर रहते हुए सिखी को ना छोड़ने की बात कही।अपने इस धर्म पर बलिदान देने को तैयार हो गए । पूर्व दर्जा राज्यमंत्री गोविन्द पिलख्वाल ने कहा कि औरंगजेब ने श्री गोविंद सिंह जी के दोनों पुत्रों को जिंदा ही दीवार में चिनवा देने का हुकूम सुना दिया। दोनों साहिब जादो ने निडरता से साहस का परिचय दिया और इसे स्वीकार कर लिया। जब उन्हें दीवार में चुनवाया जा रहा था। वह दोनों जपजी साहिब का पाठ कर रहे थे। जैसे ही दीवार उनके कंधों पर तक पहुंची तो औरंगजेब ने निर्दयता से दोनों बेटो के सिर धड़ से अलग कर दिए और उन्हें शहीद कर दिया। दोनो बालक छोटी सी आयु में अपने धर्म पर शहीद हो गए। ऐसे वीर बालकों की शहादत दिवस को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनका यह बलिदान सदैव आने वाली पीडी़यो के लिए गर्व की बात हैं और उनका नाम इतिहास के स्वर्णीम अक्षरों में लिखा जाएगा। उन्होने कहा शहीद दिवस में गुरुद्वारा श्री ज्योति स्वरूप उनकी याद में बना है। जिस जमीन पर बना है उतनी जमीन उसी समय दीवान टोडरमल जी द्वारा सोने के सिक्के जमीन पर खड़ी स्थिति में बेचकर औरंगजेब से प्राप्त की थी और उनका अंतिम संस्कार किया गया था। कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता बंसीलाल कक्कड़, जिला उपाध्यक्ष कैलाश गुरुरानी, जिला मीडिया प्रभारी राजेंद्र बिष्ट, पूर्व जिला उपाध्यक्ष दर्शन रावत, अनुसूचित मोर्चा के अध्यक्ष धर्मवीर आर्य, हरीश बिष्ट, सिख धर्मगुरु आदि शामिल थे।