वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं पूर्व उपाध्यक्ष एन आर एच एम  बिट्टू कर्नाटक ने जारी एक बयान में कहा कि नई कमिश्नरी का जो स्वरूप सरकार ने तय किया गया है, वह विसंगतिपूर्ण और अप्राकृतिक है,  कर्नाटक ने कहा कि अल्मोड़ा जो कि कुमाऊं की सांस्कृतिक राजधानी और कुमाऊं का दिल है उसे कुमाऊं से अलग कर देना और सुदूरवर्ती पिथौरागढ़ को शामिल रखना सरकार का मूर्खतापूर्ण कदम  है। उन्होंने कहा कि उतराखंड राज्य स्थापना के दौरान तमाम बुद्धिजीवियों सहित उतराखंड राज्य के आंदोलनकारी कमिश्नरी के खिलाफ थे। उनका मानना था कि इससे भारी भरकम निर्माण और कृषि भूमि के गैर कृषि कार्यों में प्रयोग बढ़ जाने का खतरा होता है, जबकि लाभ कुछ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि नई कमिश्नरी और उसमें शामिल जिलों पर तमाम बुद्धिजीवियों व उत्तराखंड के इतिहास, प्रथा, परंपरा, संस्कृति और भौगोलिक स्थिति के जानकारौं ने भी इस फैसले को हास्य पद बताया है।  कर्नाटक ने कहा कि जब तक राज्य में मूलभूत सुविधाओं व आवश्यकताओं जिनमें स्कूल, अस्पताल आदि की व्यवस्था नहीं हो जाती, नई कमिश्नरी जैसे संस्थान का कोई औचित्य नहीं है,इससे पहाड़ और पेड़ों के कटान, कृषि भूमि पर निर्माण और राजनीतिक खींचतान के सिवाय कुछ नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि पौड़ी में मुख्यालय के बावजूद सारे अधिकारी देहरादून में बैठते हैं, ऐसी कमिश्नरी का क्या लाभ है। चमोली जिले में मुख्यालय के लिए जमीन तक नहीं मिल सकी, यही हाल बरसों तक रुद्रप्रयाग का रहा। अब इस कमिश्नरी के लिए यही सब कवायद होगी और आम जन को लाभ कुछ मिलेगा नहीं। उन्होंने कहा  कि अल्मोड़ा सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, प्रशासनिक और आध्यात्मिक रूप से कुमाऊं का हृदयस्थल है। सांस्कृतिक राजधानी तो है ही, चंद राजाओं की राजधानी, कुमाऊंनी होली, रामलीला और दशहरे की विशिष्ट पहचान भी अल्मोड़ा को लेकर है। इसके बगैर कुमाऊं की कल्पना ही नहीं की जा सकती। इसे कुमाऊं मंडल से हटाया जाना बड़ी भारी गलती है।नई कमिश्नरी की स्थापना और इसमें अल्मोड़ा को शामिल करना समझ से परे है। इससे  सामाजिक, सांस्कृतिक दुष्प्रभाव पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि अभी तक स्थायी राजधानी का तो कोई समाधान  तो हुआ नहीं है,लेकिन नई कमिश्नरी की घोषणा कर सरकार ने अनावश्यक विवाद पैदा कर दिया। ऊपर से जिलों का संयोजन भी सुसंगत नही है,इससे बेहतर होता कि सरकार मांग के अनुरूप नए जिले बनाती तो आम लोगों को लाभ भी मिलता, क्योंकि कमिश्नरी के बजाय जिला मुख्यालय से आम जन का ज्यादा वास्ता पड़ता है।