अल्मोड़ा – गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के जैव विविधता संरक्षण एवं प्रबंधन केन्द्र द्वारा “कृषि एवं वन पारिस्थितिक तंत्र में अतिक्रमणकारी प्रजातियों का प्रबंधन विषय पर एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए संस्थान के डा0 अमित बहुखण्डी ने नैनीताल जनपद के बेतालघाट ब्लाक के विभिन्न विद्यालयों के शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि कार्यक्रम का आयोजन जैव विविधता संरक्षण एवं प्रबंधन केन्द्र के केन्द्र प्रमुख डा0 आई0 डी0 भट्ट के निर्देशन में किया जा रहा है। उन्होंने बेतालघाट ब्लाक के खण्ड शिक्षा अधिकारी भूपेन्द्र कुमार का मार्गदर्शन एवं अनुमति प्रदान करने हेतु आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए संस्थान के वरिष्ठ तकनीशियन डा० सुबोध ऐरी द्वारा शीर्षक “कृषि एवं वन पारिस्थितिक तंत्र में अतिक्रमणकारी प्रजातियों का प्रबंधन” के अन्तर्गत वनों के अतिक्रमण के कारण, अतिक्रमणकारी प्रजातियों के प्रभाव, उनके प्रबंधन पर प्रस्तुतिकरण देते हुए इन प्रजातियों द्वारा आजीविका हेतु विकल्प आदि विषय पर चर्चा की। उन्होने कहा उत्तराखण्ड में कुल 163 अतिक्रमणकारी प्रजातियों का प्रलेखन किया जा चुका है जिनमें से अधिकतम 48 प्रतिशत प्रजातियां बंजर भूमि में पाई जाती है। डा० ऐरी ने कहा कि ये प्रजातियाँ पारिस्थितिकी तंत्र में वनाग्नि को बढ़ाने, कृषि भूमि को अवक्रमित करने, फसल उत्पादन में कमी आदि जैसे विपरीत प्रभाव दिखा रहे है। अतः इन प्रजातियों के उन्मूलन द्वारा कम किया जा सकता है। कार्यक्रम को आगे बढाते हुए संस्थान के वैज्ञानिक डा0 आशीष पाण्डे ने अतिक्रमणकारी प्रजातियों के उन्मूलन के तरीकों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 125 तथा उत्तराखण्ड में 163 अतिक्रमणकारी प्रजातियाँ पाई जाती है। जिनमें से 70 प्रतिशत प्रजातियों स्थानीय निवासियों द्वारा प्रयोग की जाती है। कार्यक्रम का समापन करते हुए संस्थान की शोधार्थी हिमानी तिवारी द्वारा सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम में बेतालघाट ब्लाक के लगभग 25 विद्यालयों के 150 विद्यार्थी, शिक्षक तथा संस्थान के वैज्ञानिक एवं शोधार्थी सम्मिलित रहे।