सोबन  सिंह जीना विश्वविद्यालय,अल्मोड़ा के वन विभाग द्वारा ‘ग्लोबल एनवायरमेंटल इश्यूज एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ विषय पर विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया।

वेबिनार की रूपरेखा रखते हुए डॉ मंजुलता उपाध्याय ने अतिथियों का परिचय कराया और वेबिनार की पृष्ठभूमि रखी।

वेबिनार के संयोजक और वन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो अनिल कुमार यादव ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें संवेदनशीलता के साथ चिंतन करना पड़ेगा। हमें जैव विविधता को बनाये रखने के आरएस करने होंगे। उन्हीने कहा कि   आज जिस तरीके से पर्यावरण में निरंतर गिरावट आ रही है, वो चिंता की बात है। उससे जनमानस में कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हमें वनों का रोपण करना होगा।

इस अवसर पर बीज वक्ता के रूप में टोरंटो से प्रोफेसर वीर सिंह (रिटायर्ड प्रोफेसर, एनवायरमेंटल साइंस, गोविंद बल्लभ पंत यूनिवर्सिटी एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, पंतनगर) ने विद्यार्थियों का ज्ञान अर्जन करते हुए उनको पर्यावरण के क्षरण होने के कारणों से अवगत कराया। उन्होंने ग्लोबलाइजेशन के कारणों और परिणाम को विस्तार से अपने व्याख्यान में स्पष्ट किया। और कहा कि लगातार  मानवीय हस्तक्षेप के कारण पर्यावरण असंतुलन हुआ है। आज मानवीय हस्तक्षेप के कारण खराब भूमि का क्षेत्रफल लगातार बढ़ रहा है, भूमि बंजर हो रही है। यह चिंता की बात है।  उन्होंने बताया कि मोनोकल्चर के कारण, वन कटान, खोदने, सिंचाई न हो पाने के कारण भी भूमि को नुकसान पहुंचा है।  उन्होंने कहा कि  हमें पर्यावरण के संरक्षण के लिए  जनमानस के साथ मिलकर सहभागिता करनी पड़ेगी।

बीज वक्ता के रूप में अल्मोड़ा के डीएफओ, IFS, इंजीनियर महातिम यादव ने कहा कि हमें पर्यावरण के लिए सचेत रहना पड़ेगा। जिस तरीके से जंगलों में आग लग रही है, उससे हमारी वनस्पतियां नष्ट हो जा रही हैं। आग लगाने से प्रकृति का चक्र टूट रहा है। साथ ही हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है।  उन्होंने कहा कि चीड़ के जंगल उपयोगी साबित हो रहे हैं क्योंकि उससे यहां की आर्थिकी मजबूत हो रही है। चीड़ के जंगल से ही कई प्रकार की सामग्री हमें मिलती है।  हमें वन संरक्षण, पर्यावरण के संरक्षण के लिए जनता की सहभागिता आवश्यक होगी। उन्होंने कहा कि जंगली जानवरों का निरंतर आतंक बना हुआ है, यह डिफोरेस्टेशन होने की वजह से हुआ है। इसके कारण अब आपदा की घटनाओं में इजाफा हो रहा है।  वनों के कटाव से अतिवृष्टि हो रही है। जंगल जलने से से जंगली जानवर भीड़ क्षेत्र में आ रहे हैं। हमें जंगलों को विकसित करना होगा। इसके साथ उन्होंने विद्यार्थियों को इंडियन फॉरेस्ट सर्विस में आने के लिए प्रेरित किया और उनके साथ बातचीत की और विद्यार्थियों को कई टिप्स दिए।

बीज वक्ता के रूप में पूर्व एडीजी,क्लाइमेट चेंज,आईसीएफआरई देहरादून के डॉक्टर वी. आर. एस. रावत ने पर्यावरण को बचाने के लिए संदेश दिया।

मुख्य अतिथि के रूप में सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर नरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि हमें पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होना पड़ेगा। जंगलीन को विकसित करना होगा, वनस्पतियों को बचाना होगा।  प्रकृति के साथ संतुलन बनाना होगा। पर्यावरण के संरक्षण के लिए वनों का संरक्षण किया जाना बहुत जरूरी है। उन्होंने वेबिनार हेतु आयोजकों और सभी अतिथियों को अपनी शुभकामनाएं दी।

कार्यक्रम का संचालन एवं आभार व्यक्त डॉ मंजू लता उपाध्याय द्वारा किया गया।

वेबिनार में  वन विभाग के डॉ मनमोहन सिंह कनवाल, डॉ महेंद्र राणा,  डॉक्टर उमंग सैनी, डॉ ललित जोशी आदि सहित  सैकड़ों छात्र-छात्राएं शामिल रहे।