अल्मोड़ा-आज जारी एक बयान में अल्मोड़ा कांंग्रेस के जिला प्रवक्ता राजीव कर्नाटक ने कहा कि इसे उत्तराखंड का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि जिस राज्य के निर्माण के लिए  शिक्षकों,कार्मिकों द्वारा 94 दिन की हड़ताल की गई थी उन्हें ही अब सोशल मीडिया पर अपनी बात रखने पर कर्मचारी आचरण नियमावली का पाठ पढ़ाया जा रहा है।कई विभागों में दो दो वर्षों से पदोन्नति नहीं हुई है।स्थानांतरण एक्ट भी दो वर्ष से लागू नहीं हो रहा है और गोल्डन कार्ड सात महीने से नहीं चल रहा है।ऐसी स्थिति में कार्मिकों को मुंह न खोलने की नसीहत दी जा रही है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है।उन्होंने कहा कि विभागों में स्थानांतरण,समायोजन व पदोन्नति की कार्यवाही समय पर नहीं होती है और शिथिलीकरण,पुरानी पेंशन बहाली सभी मामलों में कार्यवाही नहीं हो रही है।ऐसी स्थिति में कर्मचारियों की आवाज दबाना नादिरशाही रवैए का परिचायक है।उन्होंने कहा कि सरकार ने कर्मचारियों की हड़ताल पर पहले से ही रोक लगाई हुई है।और अब उस पर एक नया फरमान आया है कि शिक्षक सरकार के फैसले के विरूद्व सोशियल मीडिया पर कुछ लिख भी नहीं सकते।उन्होंने कहा कि ये नये नये नियम कहां से आ रहे हैं?उन्होंने कहा कि प्रदेश में पचास प्रतिशत से भी अधिक विद्यालय प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक विहिन है और शिक्षकों व कार्मिकों के पद भी रिक्त हैं।पदोन्नति व सीधी भर्ती के माध्यम से पदों की पूर्ति करनी चाहिए और शिक्षकों व कार्मिकों के साथ शिक्षा अधिकारी,जिलाधिकारी,मंडल व प्रदेश के अधिकारियों के साथ हर महीने अनिवार्य बैठक होनी चाहिए ताकि समस्या का समाधान हो सकें। लोकतंत्र में शिक्षकों व कार्मिकों को अपनी बात कहने से रोकना अलोकतांत्रिक फैसला है।सरकार को हड़ताल से भी पाबंदी हटा देनी चाहिए।ऐसी बातें क्यों जबरन कर्मचारियों पर थोपी जा रही हैं?उन्होंने कहा कि लोकतन्त्र में सभी को अपनी बात रखने का हक है।जब नियमित बैठको से समस्या का समाधान हो जाएगा तो बात रखने की नौबत ही नहीं आयेगी।विभाग व सरकार को गंभीरता से विचार करते हुए नियमित बैठकों का दौर शुरू करना चाहिए और समाधान पखवाड़ा आयोजित करना चाहिए और जनता व कार्मिकों की समस्याओं को अवकाश के दिनों में भी निस्तारित करने के लिए नई पहल करनी चाहिए।उन्होंने कहा कि शिक्षकों,कार्मिकों की समाज में बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।शिक्षा विभाग  छात्र छात्राओं को बेहतर नागरिक  बनाने व उनके बेहतर भविष्य बनाने  के लिए कार्य करता है।ऐसे में उन्ही पर प्रतिबंध लगाना अलोकतांत्रिक है। कर्नाटक ने कहा कि सभी जायज मांगों पर कार्यवाही कर संवाद कायम करना विभाग का लक्ष्य होना चाहिए।