अल्मोड़ा- अष्टम दिवस बुधवार को चंद् वशज के युवराज नरेंद्र चंद सिंह उनके परिवारजनों ने अपनी कुलदेवी की पूजा-अर्चना की गई। पूजा अर्चना मंदिर के मुख्य पुजारी तारादत्त जोशी सहयोगी पुजारी प्रमोद डाला कोटी एवं राज परिवार के नागेश पंत द्वारा संपन्न कराई गई।तदोपरांत अपराह्न 3:30 बजे नंदा देवी मंदिर परिसर से मां नन्दा- सुनंदा की शोभायात्रा ढोल नगाड़ों, शंख- घंटी, गाजे- बाजे की ध्वनि व श्रृद्धालुओं के जय-जय कारों के घोष के साथ लाला बाजार, बंसल गली मार्ग से होते हुए ड्योढ़ी पोखर पहुंची। जहां चंद राजाओं के कुलदेवी के मंदिर को डोले के दर्शन कराए गए। इस बीच मंदिर से राज परिवार की युवरानी कामाक्षी सहित परिवार के सभी सदस्यों ने मां के डोलै की आरती उतारी। इसके बाद शोभा यात्रा कारखाना बाजार, कचहरी बाजार, सोनार मोहल्ला, गांगोला मोहल्ला, थाना बाजार मार्ग से होते हुए दुगालखोला स्थित डोबानौला पहुंची।
इस अवसर पर आस्था व श्रद्धा का जबरदस्त सैलाब करीब डेढ़ किलोमीटर लंबे बाजार मार्ग से जब निकला तो श्रद्धालुओं ने बाज़ार मार्ग में अपने-अपने घरों के अंग भावनाओं के चो छात्रों बालकनी से हजारों -हजारों लोगों ने चावल और पुष्पों की अनवरत वर्षा की ,वही डोले की झलक पा लेने की होड़ श्रद्धालुओं में मची रही।यह अद्भुत नजारा उत्तराखंड की आराध्य देवी मां नंदा- सुनंदा की भव्य शोभायात्रा का था।शोभायात्रा में महिलाएं भी मां के गीत एवं भजन व जय जयकारों के साथ बड़ी संख्या में चल रही थी।परंपरा के अनुसार मां की से शोभायात्रा नंदा देवी मंदिर से प्रारंभ होने से पूर्व मंदिर की सिडी़ के पास कद्दू की बलि दी गई।पौराणिक मान्यता के अनुसार पहले मेले के अंतिम दिन भैंस की बलि दी जाती थी। बाद में माननीय कोर्ट के आदेश के बाद बलि प्रथा को समाप्त कर दिया गया। इसकी जगह अब कद्दू की बलि देकर रश्मि निभाई जाती है।