भविष्य उज्ज्वल है, भारत के लिये भविष्य डीआईआर-वी हैः राजीव चंद्रशेखर

नवाचार, कार्यक्षमता, प्रदर्शन–यही मंत्र हैं डीआईआर-वी कार्यक्रम के भविष्य के लिये: राजीव चंद्रशेखर



राजीव चंद्रशेखर ने आईआईटी मद्रास द्वारा आयोजित डिजिटल इंडिया रिस्क-वी (डीआईआर-वी) संगोष्ठी को संबोधित किया

केन्द्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता और इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने आईआईटी मद्रास द्वारा चेन्नई में आयोजित डिजिटल इंडिया रिस्क-वी (डीआईआर-वी) संगोष्ठी को वर्चुअल माध्‍यम से संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने डीआईआर-वी को लेकर सरकार के विजन पर जोर देते हुये कहा कि वर्तमान में इसका उद्देश्य प्रभावी सार्वजनिक-निजी भागीदारी और आईआईटी मद्रास जैसे उच्च शैक्षिक संस्थानों के सहयोग से रिस्क-वी के लिये एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है।

डीआईआर-वी कार्यक्रम की शुरुआत पिछले साल की गई थी, जिसका उद्देश्य अत्याधुनिक माइक्रोप्रोसेसर्स का सृजन कर भारत के सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को बढ़ावा देना था। उन्‍होंने बताया कि किस प्रकार से डीआईआर-वी उद्योग के प्रत्येक उद्यमी के लिये टेक-अवसरों को पैदा करेगा जिससे कि यह भारत के टैकेड लक्ष्य को हासिल करने में बड़ी भूमिका निभायेगा।

राजीव चंद्रशेखर ने कहा, ‘‘आज, भारत के लिये भविष्य उज्ज्वल है, भविष्य डीआईआर-वी है। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पहले ही इसकी घोषणा की है कि यह पहल भारत के टैकेड को परिभाषित करेंगी और यह विविध प्रौद्योगिकी अवसरों को प्रस्तुत करेंगी। यह हमारे इंजीनियरों और स्टार्टअप्स की सृजनशीलता एवं नवाचार से संचालित होगा। आने वाले वर्षों में डीआईआर-वी कार्यक्रम की सफलता के लिये — नवाचार, कार्यक्षमता और प्रदर्शन–यही मंत्र होंगे। भारत सरकार डीआईआर-वी को भारतीय आईएसए (इंस्ट्रक्शन सेट आर्किटेक्चर) बनाने के लिये प्रतिबद्ध है।’’

उन्‍होंने इस प्रकार के स्वदेशी कार्यक्रम के महत्व पर जोर देते हुये कहा कि तेजी से बढ़ रहे डिजिटलीकरण और ऐसे नये एप्पलीकेशंस जिनकी अभी खोज होनी है उनके लिये सिलिकॉन चिप्स की मांग बढ़ती जा रही है।

राजीव चंद्रशेखर ने कहा, ‘‘5जी और 6जी के उभरने के साथ इंटरनेट और ज्यादा जटिल होता जा रहा है ऐसे में नये एप्पलीकेशंस की खोज होगी। ऐसे में सिलिकॉन चिप्स, सेमीकंडक्‍टर्स और अन्य प्रणालियों के लिये अपना स्थान बनाने के लिये अधिक अवसर सामने होंगे। जब हम प्रदर्शन और एप्पलीकेशन के बारे में बात करते हैं तो मैं ऐसे भविष्य को देखता हूं जहां ऐसे कई डिजिटल उत्पाद हैं जिन्हें हम आज उपभोग कर रहे हैं, चाहे यह क्लाउड हो, डेटा सेंटर हो, मोबाइल उपकरण हों, टेबलेट्स हों, क्लाउड सविर्सिज के लिये सर्वर, आटोमोटिव टेक्नालजी, सेंसर्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 5जी और 6जी नेटवर्क, हम डीआईआर-वी आधारित चिप्स भी देखेंगे, इन सभी के उपकरण और प्रणालियों को भी देखेंगे।’’

राजीव चन्‍द्रशेखर ने स्पष्ट किया कि डीआईआर-वी को उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग के अखिल भारतीय लक्ष्य के केन्द्र में रखना कैसे आवश्यक है। उन्होंने कहा, ‘‘जहां हम एक्स-86 और एआरएम स्पेश में गतिविधियों और कार्यक्रमों को जारी रख सकते हैं, हमारा मुख्य ध्यान डीआईआर- वी कार्यक्रम पर ही है। मैं इस संबंध में प्रतिबद्धता व्यक्त करता हूं कि सी-डैक के नेतृत्‍व में तथा विभिन्न सार्वजनिक-निजी भागीदारी वाले कार्यक्रमों द्वारा समर्थित हमारा उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग लक्ष्य के केन्द्र में डीआईआर- वी ही होगा।’’

राजीव चंद्रशेखर ने इस अवसर पर बुनियादी कार्यक्षमता से भी आगे जाने के महत्व को रेखांकित किया और अत्याधुनिक प्रणाली विकसित करने में अधिक प्रयास करने पर जोर दिया जो कि नये वैश्विक मानक स्थापित कर सकें।

उन्‍होंने कहा, ‘‘भारत के टैकेड का लक्ष्य इन तीन क्षे़त्रों में फैला है – इंटरनेट ऑफ थिंग्स के साथ आटोमोटिव इंडस्ट्रियल स्पेस, मोबिलिटी और कंप्यूटिंग, जिसमें उच्च- प्रदर्शन कंप्युटिंग क्षमता भी शामिल है। हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि इन सभी तीनों क्षेत्रों में डीआईआर-वी की पूरी गंभीरता के साथ उपस्थिति हो। इस कार्यक्रम को हम पूरा समर्थन देंगे यह कहने के अलावा जो वास्तविक संदेश हम देना चाहते हैं वह यह है कि डीआईआर-वी समुदाय और इससे जुड़े समूचे परिवेश से हमारी उम्मीदें अब केवल कार्यक्षमता को लेकर नहीं हैं। आज हमें केवल क्रियाशील प्रणाली की आवश्यकता नहीं है, हमें ऐसी क्रियाशील प्रणाली चाहिये जो कि दूसरी तुलनात्मक प्रणालियों और आईएसए के मुकाबले नये कीर्तिमान स्थापित करने के मामले में अत्याधुनिक हो।’’

राजीव चंद्रशेखर ने विशेष रूप से डीआईआर- वी कार्यक्रम को लेकर आईआईटी चेन्नई और सी-डैक के बीच भागीदारी की सराहना की और यह उल्लेख किया कि किस प्रकार ऐसे सहयोग से सृजनशीलता एवं नवोन्मेष के बड़े केन्द्र बनाये जा सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आईआईटी चेन्नई और सी-डैक के बीच सहयोग ने यह दिखा दिया है कि किस प्रकार से आईआईटी-चेन्नई दुनियाभर के अन्य शैक्षिक संस्थानों के लिये और उनके लिये भी जो कि सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रानिक्स नवोन्मेष के इस तेजी से बढ़ने वाले इकोसिस्टम के लिये एक प्रकाश स्तंभ के तौर पर बनकर उभरा है। आईआईटी चेन्नई तेजी से नवोन्मेष और सृजनशीलता तथा डीआईआर-वी के ईद-गिर्द केन्द्रित भविष्य की प्रणालियों के लिये एक बड़ा केन्द्र बनता जा रहा है।’’

एक दिन की इस संगोष्ठी में विभिन्न तकनीकी नवाचार को प्रदर्शित किया गया और उद्योग जगत से स्टार्टअप, छात्रों एवं शिक्षाविदों की भागीदारी देखी गई।