अल्मोड़ा – सोमेश्वर विधानसभा के (बूथ संख्या 77 मनाऊं) में जनसंघ के संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय के जन्म जयंती के अवसर पर उनके चित्र में पुष्पांजलि अर्पित करते हुए बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति सदस्य रवि रौतेला ने कहा कि एकात्म मानववाद व अंत्योदय के प्रणेता, प्रखर राष्ट्रवादी, महान विचारक, चिंतक, लेखक, संगठनकर्ता, त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति, जनसंघ के संस्थापक सदस्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अपने विचारों व कर्तव्यनिष्ठा से भारतीय राजनीति में अद्वितीय आदर्श स्थापित किये। उनका सम्पूर्ण जीवन विकास की पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति को, पंक्ति में खड़े प्रथम व्यक्ति के समक्ष लाने के लिए समर्पित रहा। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितम्बर,1916, को वर्त्तमान उत्तर प्रदेश की पवित्र ब्रजभूमि में मथुरा में नगला चंद्रभान नामक गाँव में हुआ था।
दीनदयाल हमेशा से ही एक मेधावी छात्र थे उन्‍हेंने मैट्रिक और इण्टरमीडिएट-दोनों ही परीक्षाओं में गोल्ड मैडल प्राप्‍त किया था इन परीक्षाआ को पास करने के बाद वे आगे की पढाई करने के लिए एस.डी. कॉलेज, कानपुर में प्रवेश लिया और वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यक्रमों में भी रुचि लेने लगे , भारतीय जनसंघ की स्थापना डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा वर्ष 1951 में किया गया एवं दीनदयाल उपाध्याय को प्रथम महासचिव नियुक्त किया गया। वे लगातार दिसंबर 1967 तक जनसंघ के महासचिव बने रहे। उनकी कार्यक्षमता, खुफिया गतिधियों और परिपूर्णता के गुणों से प्रभावित होकर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी उनके लिए गर्व से सम्मानपूर्वक कहते थे कि- ‘यदि मेरे पास दो दीनदयाल हों, तो मैं भारत का राजनीतिक चेहरा बदल सकता हूँ। वर्ष 1953 में अचानक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के असमय निधन से पूरे संगठन की जिम्मेदारी पंडित जी के युवा कंधों पर आ गयी और इस प्रकार उन्होंने लगभग 15 वर्षों तक महासचिव के रूप में जनसंघ की सेवा की। भारतीय जनसंघ के 14वें वार्षिक अधिवेशन में उन्हें दिसंबर 1967 में कालीकट में जनसंघ का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। एक लेखक के रूप में उन्होंने एक साप्ताहिक समाचार पत्र ‘पांचजन्य’ और एक दैनिक समाचार पत्र ‘स्वदेश’ शुरू किया था। उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद जैसी प्रगतिशील विचारधारा दी। पंडित दीनदयालजी जनसंघ के आर्थिक नीति के रचनाकार भी कहे जाते हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी एक महान चिंतक थे और उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानव दर्शन जैसी प्रगतिशील विचारधारा दी 11 फरवरी, 1968 को पं. दीनदयाल जी की अचानक एवं रहस्यमय तरीके से मृत्यु से सारे देश में शौक की लहर दौड़ गई लेकिन पंडित जी अपनी कर्तव्यनिष्ठा और विचारधारा के कारण हम सब के ह्रदय में सदैव जीवित रहेंगे।कार्यक्रम में मण्डल अध्यक्ष वीरेन्द्र चिलवाल, बूथ अध्यक्ष देवेन्द्र बिष्ट, शक्ति केन्द्र संयोजक एन डी जोशी, मण्डल उपाध्यक्ष अर्जुन बिष्ट, गणेश जलाल, मण्डल महामंत्री ललित तिवारी, देवेन्द्र मेहरा, नन्दन सिंह,बच्ची सिंह, बहादुर सिंह, अंबादत्त सती, गणेश सिंह, भुपाल सिंह, सन्तोष बिष्ट, दीपक बिष्ट, नन्दी देवी, पानुली देवी, पूनम बिष्ट, बसन्ती देवी, जसौदा देवी, हेमा बिष्ट, संजू बिष्ट, शिवपाल सिंह, कमला रावत, हेमन्त सिंह , राजेन्द्र सिंह सहित अनेकों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।