अल्मोड़ा: पीरियड्स यानी माहवारी एक ऐसा विषय है जिसके संबंध में आज भी हमारे समाज में खुलकर बात नहीं की जाती है। पीरियड्स की प्रकिया से गुजरने वाली लड़कियां भी इस पर खुलकर बोलने में शर्माती हैं। जिससे इसके संबंध में लोगों का ज्ञान आधा-अधूरा ही है। इसका परिणाम यह है कि महिलाओं और किशोरियों को माहवारी के दौरान तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन्ही चुनौतियों को दूर करने के लिए SOCCH NGO पिछले 3 वर्षों से कार्यरत है। शनिवार को सोच संस्था ने अल्मोड़ा ताकुला स्थित राजकीय इंटर कॉलेज नाई अल्मोड़ा के सभागार में यूथ एवं इको क्लब के अंतर्गत रा०इ०का० नाई एवं संस्था SOCCH के तत्वावधान में माहवारी सम्बंधित जागरूकता अभियान आयोजित किया गया। इंटर कॉलेज में छात्राओ के साथ साथ छात्रों को भी माहवारी की जानकारी उपलब्ध करवाई गई।

संस्था के सचिव मयंक ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए स्कूली छात्राओं एवं ग्रामीण महिलाओं को पीरियड्स से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों को समझाया। उन्होंने संस्था के अध्यक्ष आशीष के शोध कार्य पर बनी डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म दिखाकर महिलाओं एवं छात्राओं को पीरियड्स के प्रति सहज किया। संस्था की वालंटियर हिमांशी ने माहवारी के दौरान प्रयोग किये जाने वाले सेनिटरी नैपकिन एवं मेंस्ट्रुअल कप के बारे में भी विद्यार्थियों को बताया एवं इसको बदले जाने का समय भी बताया।

संस्था के अध्यक्ष आशीष ने बताया कि निकट भविष्य में उनके अनेको अभियान प्रस्तावित हैं वो विभिन्न प्रोजेक्ट्स को लेकर काम कर रहे हैं जिससे छात्राएं एवं महिलाएं पीरियड्स के प्रति जागरूक हो एवं कपड़े की जगह सेनिटरी पैड्स का प्रयोग करें। संस्था की वॉलिंटियर्स दीपाली एवं प्रियंका ने स्कूली छात्राओं का साक्षात्कार अनुसूची के माध्यम से डाटा लिया, जिसमें माहवारी से संबंधित प्रश्नों की सूची थी।

संस्था के कोषाध्यक्ष राहुल जोशी ने बताया कि वो इस डाटा से स्कूली छात्राओं को माहवारी के दौरान आने वाली समस्याओं का आंकलन करेंगे, जिसके पश्चात उन समस्याओं को दूर करने हेतु योजना बनाई जाएगी। साथ ही उन्होंने सभी शिक्षकों से संस्था के साथ जुड़ कर सामाजिक कुरीतियां को दूर करने की में उनका सहयोग आर्थिक रूप से करने की भी अपील की। संस्था की वालंटियर गीतम भट्ट ने छात्राओ को मनोविज्ञान प्रभावों को समझाने का काम किया।

कार्यक्रम में नाई इंटर कॉलेज के अध्यापक एवं यूथ क्लब के प्रभारी रमेश सिंह रावत ने कहा कि शिक्षा व समाज एक सिक्के के दो पहलू है एवं समाज में सुधार एवं जनचेतना शिक्षा के द्वारा होता है। उन्होंने सती प्रथा का उदाहरण देते हुए आशीष पन्त की तुलना राजाराममोहन राय से की, जिन्होंने सती प्रथा का अंत किया था एवं उन्होंने संस्था के कामों से प्रसन्न होकर हर माह अपने वेतन से संस्था को सहयोग दिये जाने की बात कही।

सोच संस्था द्वारा इस दौरान छात्र एवं छात्राओं को सेनिटरी पैड्स भी वितरित किये गए।
कार्यक्रम में शिक्षक रमेश सिंह रावत, पवनेश् ठकुराठी, अंकित जोशी, गणेश शर्मा, नवल किशोर, सोनम देवी, अज़रा परवीन मौजूद रहे। सोच संस्था के वोलेंटियर प्रियंका सलाल, दीपाली भट्ट, रितिक नयाल, अभिषेक नेगी, हिमांशी भण्डारी, गीतम भट्ट भी मौजूद रहे।