38वें राष्ट्रीय खेलों के अंतर्गत अल्मोड़ा में योगासन खेल का भव्य आयोजन हुआ, जिसका उद्घाटन उत्तराखंड की खेल मंत्री, रेखा आर्य ने हेमवती नंदन बहुगुणा स्पोर्ट्स स्टेडियम में किया। इस आयोजन ने योगासन को एक खेल के रूप में प्रस्तुत करते हुए उसे सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर से जोड़ने का अनूठा अवसर प्रदान किया। योगासन प्रतियोगिता 31 जनवरी से 4 फरवरी तक आयोजित की जा रही है, जिसमें 22 राज्यों के 171 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। इस प्रतियोगिता ने न केवल खेल के क्षेत्र में योगासन को एक नया आयाम दिया, बल्कि इसे उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर से भी जोड़ा।
आधिकारिक उद्घाटन और समारोह
उद्घाटन समारोह का आगाज प्रातः 10 बजे हुआ, जिसमें खेल मंत्री रेखा आर्य ने दीप प्रज्वलन और मंत्र पाठ के साथ विधिवत शुरुआत की। इस आयोजन में जो खास बात थी, वह यह थी कि समारोह में वैदिक संस्कृति का प्रभाव पूरी तरह से महसूस हो रहा था। खेल मंत्री ने खिलाड़ियों और तकनीकी अधिकारियों से मुलाकात की और उन्हें योगासन खेल की सफलता के लिए शुभकामनाएं दी। इस उद्घाटन ने यह स्पष्ट किया कि योगासन अब केवल एक शारीरिक व्यायाम नहीं बल्कि एक खेल के रूप में अपनी पहचान बना चुका है, जिसे देशभर के खिलाड़ी और दर्शक समान रूप से सम्मान दे रहे हैं।
योगासन की पांच श्रेणियाँ और पदक वितरण
योगासन प्रतियोगिता पांच प्रमुख श्रेणियों में आयोजित की जाएगी: ट्रेडिशनल योगासन, आर्टिस्टिक योगासन सिंगल, आर्टिस्टिक पेयर, रिदमिक पेयर और आर्टिस्टिक ग्रुप। इन श्रेणियों में कुल 66 पदक दिए जाएंगे, जिनमें 22 स्वर्ण, 22 रजत और 22 कांस्य पदक शामिल हैं। यह आयोजन न केवल योगासन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है, बल्कि यह खिलाड़ियों के कौशल, शारीरिक क्षमता और मानसिक एकाग्रता की भी परीक्षा लेता है। प्रतियोगिता के दौरान प्रत्येक खिलाड़ी को अपने प्रदर्शन में एक निश्चित ताल और लय बनाए रखते हुए योग की विभिन्न मुद्राओं में श्रेष्ठता का प्रदर्शन करना होगा।
अल्मोड़ा की संस्कृति और धार्मिक धरोहर से जुड़ाव
योगासन प्रतियोगिता के उद्घाटन के दौरान खेल मंत्री रेखा आर्या ने खिलाड़ियों से अपील की कि वे अल्मोड़ा की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों से परिचित हों। उन्होंने विशेष रूप से अल्मोड़ा के प्रसिद्ध जागेश्वर धाम और गोल्ज्यू देवता के मंदिर का उल्लेख किया, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दर्शन के लिए गए थे। खेल मंत्री ने कहा कि प्रतियोगिता में भाग लेने आए खिलाड़ी इस ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थान का दर्शन करें, ताकि वे अल्मोड़ा की धरोहर को जान सकें और इसका अनुभव कर सकें। उन्होंने सुझाव दिया कि हर दिन किसी न किसी टीम को जागेश्वर धाम और गोल्ज्यू देवता के मंदिर के दर्शन कराए जाएं।
अल्मोड़ा का यह पहलू न केवल प्रतियोगिता को सांस्कृतिक संदर्भ में समृद्ध करता है, बल्कि खिलाड़ियों को एक गहरे आध्यात्मिक अनुभव का भी अवसर प्रदान करता है। इस पहल से यह सुनिश्चित होता है कि खेल केवल शारीरिक कौशल तक सीमित न रहें, बल्कि खिलाड़ियों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से भी जोड़ने का काम करें।
योगासन खेल के भविष्य की दिशा
खेल मंत्री रेखा आर्य ने उद्घाटन समारोह के दौरान यह भी कहा कि योगासन खेल की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए यह खेल जल्द ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना सकता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि योगासन का भविष्य बहुत उज्जवल है और यह खेल जल्द ही एशियाई खेलों में अपनी जगह बनाएगा। उनके अनुसार, योगासन खेल की संस्कृति को बढ़ावा देना और उसे ओलिंपिक में शामिल करना कोई दूर की बात नहीं है।
योगासन भारत के प्रयासों को उन्होंने सराहा और कहा कि इस दिशा में योगासन भारत द्वारा किए जा रहे प्रयासों से यह सपना जल्द ही साकार होगा। यह खेल न केवल भारतीय संस्कृति का परचम लहराएगा, बल्कि अन्य देशों के साथ योग की लोकप्रियता को भी बढ़ावा देगा।
आयोजकों और प्रतियोगिता के आयोजन में सहयोग
इस भव्य आयोजन में जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडे, कार्यक्रम अध्यक्ष मनोज तिवारी (विधायक), महेशी आर्य (जिला क्रीडाधिकारी), शक्ति सिंह (संयुक्त निदेशक, खेल विभाग), अजय वर्मा (मेयर, नगर निगम अल्मोड़ा), चंद्रकांत मिश्रा (मुख्य योगासन कोच, NIS, पटिआला) और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को और भी गरिमामय बना दिया। प्रतियोगिता निदेशक रचित कौशिक और कोषाध्यक्ष, योगासन भारत, डॉ सी. वी. जयंती, जिलाध्यक्ष भाजपा रमेश बहुगुणा ने भी आयोजन के सफल संचालन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
कार्यक्रम के दौरान योगासन भारत और वर्ल्ड योगासन के महासचिव डॉ जयदीप आर्य ने अपनी टीम के योगदान की सराहना की। उनकी कुशल मार्गदर्शन में ही यह प्रतियोगिता आयोजित हो पाई। उन्होंने अल्मोड़ा की बढ़ती खेल धरोहर और योगासन खेल के समृद्ध भविष्य पर चर्चा की।
निष्कर्ष
38वें राष्ट्रीय खेलों में योगासन खेल का आयोजन अल्मोड़ा के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। यह न केवल खेलों का उत्सव है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और योग के महत्व को भी वैश्विक मंच पर लाने का एक प्रयास है। योगासन खेल के माध्यम से देशभर के खिलाड़ी अल्मोड़ा की सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ेंगे और इस अनुभव को अपने जीवन में संजोएंगे। इस आयोजन से यह उम्मीद जताई जा रही है कि योगासन खेल भविष्य में और अधिक सम्मान और पहचान प्राप्त करेगा।