गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालई पर्यावरण संस्थान के स्थानीय इकाई गढ़वाल रीजनल सेंटर के तत्वावधान में रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त मुनि ब्लॉक के बरसों गांव में ग्रामीण परिदृश्य में हित धारकों के साथ चक्रीय अर्थव्यवस्था मॉडल पर आजीविका संवर्धन हेतु परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया गया. संस्थान के निदेशक प्रोफेसर सुनील नौटियाल ने कार्यशाला की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए यह बताया कि कि चक्रीय व्यवस्था एवं सामाजिक आर्थिक पारिस्थितिकी का ग्रामीण परिवेश में काफी काफी प्रभाव रहता है. इन सामंजस्य को हम मुख्यतः 4 भागों में विभाजित कर सकते हैं प्रथम सामाजिक परिवर्तन द्वितीय जलवायु परिवर्तन तीसरा जैव विविधता तथा इन सब का समेकित प्रभाव आर्थिक बदलाव में कैसे पड़ता है. निदेशक महोदय ने जलवायु लचीलापन अपनाने के विभिन्न माध्यमों पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला तथा हिमालय के जैव विविधता जैव विविधता को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक जैसे औषधीय एवं सुगंधित पौधों के उत्पादन जैसे एस्पेरेगस एवं जैन्थोजाईलम को बढ़ावा दिया जाए जिससे यहां की स्थानीय लोगों की आजीविका में वृद्धि हो सके तथा तथा स्थानीय भूभाग की प्रबंधन उचित माध्यम से हो सके. संसाधनों के उचित एवं समेकित प्रबंधन से ही सतत विकास की अवधारणा को फलीभूत किया जा सकता है. उन्होंने विशेष रूप से स्थानीय प्रजातियों जिनमें धान एवं अन्य औषधीय पौधे के संरक्षण पर काम करने पर जोर दिया तथा यह आश्वासन दिया की संस्थान की वैज्ञानिक एवं शोधार्थी तकनीकी ज्ञान एवं प्रशिक्षण से इस गांव को उत्तराखंड की पटल पर एक विकसित एवं आदर्श गांव के रूप में स्थापित करने में सहयोग प्रदान करेंगे. संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर जगदीश चंद्र कुनियाल ने बारसू गांव को जलवायु स्मार्ट समुदायों को बढ़ावा देने वाले परियोजना के तहत गोद लेने की बात कही तथा संस्थान के वैज्ञानिकों से आवाहन किया कि इस गांव के समेकित विकास के लिए तथा संसाधनों की उचित प्रबंधन के लिए जिससे गांव की चक्रीय अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो सके तथा आजीविका संवर्धन माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इच्छा अनुरूप ग्रामीणों की आय दोगुनी हो सके पर आश्वासन दिया. संस्थान की जैव विविधता एवं संरक्षण केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं केंद्र अध्यक्ष डॉ इंद्र दत्त भट्ट ने इस गांव में ग्रामीण तकनीकी परिसर के स्थापना का आश्वासन दिया इस ग्रामीण तकनीकी परिसर के स्थापना से इस गांव के साथ साथ ही अन्य अन्य क्लस्टर समूह गांव को भी संस्थान के विभिन्न तकनीकी अन्वेषण का प्रदर्शन का लाभ मिलेगा तथा संस्थान में प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए उनका स्वागत किया. कार्यक्रम के सफल एवं कुशल संचालन में संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ चंद्रशेखर, डॉक्टर शौकीन तरफदार, इंजीनियर महेंद्र लोधी, डॉ अरुण जुगरान, डॉ सुमित राय, डॉ एस रावत एवं अन्य सभी शोधार्थियों का सहयोग रहा. कार्यक्रम को सफल बनाने में ग्राम प्रधान श्री अनूप सेमवाल, युवा अन्वेषी किसान विजय सेमवाल एवं महिला मंडल अध्यक्षा महोदय का सराहनीय योगदान रहा तथा उन्होंने भविष्य में इसी प्रकार से गांव के विकास एवं आदर्श गांव के निर्माण में भागीदारी का आश्वासन दिया।