गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण सस्थांन मौहल, कुल्लू, हिमाचल प्रदेश द्वारा खड़ीहार पंचायत में बैठक की गई जिसमे खड़ीहार पंचायत के वार्ड सदस्य व लोग उपस्थित रहे। संस्थान के निदेशक प्रो0 सुनील नौटियाल व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ0 जे0 सी0 कुनियाल ने लोगो से जलवायु परिवर्तन और जल सरंक्षण पर विस्तृत चर्चा की । गांव वासियों ने वैज्ञानिको को बताया की किस प्रकार पिछले वर्षो में जलवायु में परिवर्तन आया है । उन्होंने बताया की किस प्रकार जलवायु परिवर्तन से वहां की जैव विवधता पर प्रवाभ पड़ा है तथा जलवायु परिवर्तन से अचानक बारिश आना, तापमान का बढ़ना व ओले पड़ना अब एक सामान्य घटना हो चुकी है । लोगो द्वारा सबसे बड़ी समस्या पानी की बताई गयी और पानी की इस समस्या को दूर करने के लिए लोगो द्वारा संस्थान से शोध व् प्रबधंन करने के लिए आग्रह किया। गांव के वरिष्ठ लोगों ने कहा कि पहले गांव में पौराणिक फसलों को उगाते थे पर अब लोग बहार के अनाज का ही उपयोग करते है जिसके कारण काफी बीमारियां हुई हैं। लोगो द्वारा यह भी बताया गया कि कैसे सेब की फसल द्वारा पहले उनकी आय होती थी पर अब वो भी नहीं रही जिससे उन्हें बहुत परेशानी हुई है । लोगो ने यह भी बताया की ओले गिरने के कारण उनकी फसल कैसे बर्बाद हो रही है और जमीन कम होने के कारण उनकी आमदनी भी कम है। निदेशक महोदय ने पानी की समस्या व पुरानी फसलों के उत्पादन की कमी पर प्रकाश डाला। निदेशक महोदय ने बताया कि कैसे नकदी फसलों को ड्रिप इरीगेशन, हीड्रोपोनिक्स के जरिये उगाया जा सकता है । वैज्ञानिक प्रणाली और समाज के संयोग से ही एक व्यवस्थित शोध होगा।
इसके पश्चात् संस्थान के निदेशक ने , दीन दयाल, मधु मक्खी फार्म से कराड़सु, कुल्लू में भेंट की। दीन दयाल मधु मक्खी फार्म के उद्यमी श्री दीन दयाल जी ने निदेशक महोदय व् वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ० जे० सी० कुनियाल का स्वागत किया और 2014 से गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण सस्थांन के सहयोग से मधुमक्खी पालन फार्म कार्यो से आय वृद्धि पर प्रकश डाला। दीन दयाल जी ने कहा कि उन्होंने अभी तक 35-40 मधुमक्खी पालक के समूहों को विभिन कार्यशालाओं से निपुण बनाया और दो सौ से ऊपर मुख्य प्रशिक्षक बनाये हैं । उन्होंने बताया कि समय परिवर्तन और नए घरों के निर्माण से लोगो ने पुराने घरों में लगे मधुमक्खी छत्तों को नष्ट किया। जिसके कारण कुल्लू जिला में देसी मधुमक्खी में कमी दर्ज की गयी । दीन दयाल मधु मक्खी पालक एक मात्र ऐसे उद्यमी हे जिनके पास पुरे हिमाचल प्रदेश में सौ से भी अधिक देसी मधु मक्खी छत्ते है। साथ ही स्थानीय मधुमक्खी संरक्षण के लिए GIZ भी सहयोग कर रहा है । दीन दयाल ने सस्थांन के निदेशक महोदय से आग्रह किया किया की संस्थान मधुमक्खी पालन को गाँव स्तर पर बढ़ाने के लिए आगे आए । निदेशक महोदय ने दीन दयाल उद्यमी को विशेष आग्रह किया कि अगले महीने अल्मोड़ा (उत्तराखंड) में होने जा रही देश भर की वैज्ञानिक बैठक में भाग लें और अपना अनुभव साझा करें। इस बैठक में संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ0 जे0 सी0 कुनियाल, केंद्र प्रमुख ई0 राकेश कुमार सिंह, डॉ0 वसुधा अग्निहोत्री, डॉ0 सरला साशनी, डॉ0 रेनू लता, डॉ0 केसर चंद व डॉ0 किशोर कुमार उपस्थित रहे ।