गो0 ब0 पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल के ग्रामीण तकनीकी परिसर में ’उत्तराखण्ड के हिमालयी गॉवों में विलुप्तप्राय औषधीय एवं सुगंधित पौंधों का संरक्षण विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण शिविर में उद्योगिनी संस्था, जनपद चमोली द्वारा चयनित 37 वन सरपंचों एवं सदस्यों ने प्रतिभाग किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन करते हुए संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं ग्रामीण तकनीकी परिसर प्रभारी डा. अशोक कुमार साहनी ने सभी का स्वागत किया तथा प्रशिक्षण की पृष्ठभूमि से अवगत कराते हुए जड़ी-बूटी के पारम्परिक ज्ञान को जो कि धीरे-धीरे समाप्त हो जा रहा है व्यवसायिक रूप में अपनाकर आजीविका का साधन बनाने पर जोर दिया। प्रशिक्षण शिविर की शुरूआत में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए संस्थान के निदेशक प्रो0 सुनील नौटियाल ने उच्च हिमालयी क्षेत्रों में उगायी जाने वाली जड़ी बूटियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए संस्थान द्वारा जड़ी-बूटी पर चौदास घाटी में किये जा रहे सफल कार्य का उदाहरण देतु हुए प्रतिभागियों को जड़ी-बूटी, पशुपालन एवं ग्रामीण पर्यटन के व्यवसाय को एकीकृत रूप करके आजीविका सम्वर्धन करने पर जोर दिया। तत्पश्चात संस्थान के वैज्ञानिक डा. हर्षित पन्त जुगरान ने प्राकृति संसाधन प्रबन्धन एवं संरक्षण तथा पारिस्थिकी में वन पंचायत की भूमिका विषय पर विस्तृत जानकारी दी। तदुपरान्त संस्थान के वैज्ञानिक डा. के0 एस0 कनवाल ने औषधीय एवं सुगंधित पौध संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन पर महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए हिमालय के विभिन्न क्षेत्रों में जड़ी बूटी विकास एवं जैव विविधता संरक्षण में किये जा रहे कार्यो से भी अवगत कराया। प्रशिक्षण के दृतीय सत्र में डा. सुबोध ऐरी ने प्रतिभागियों को संस्थान के सूर्यकुंज का भ्रमण कराकर हिमालय क्षेत्र से एकत्र कर उगायी गयी विभिन्न जड़ी-बूटी, सुगंधित पौंध एवं कृषि वानिकी की जानकारी दी गयी। इसके उपरान्त डा0 दीपा बिष्ट ने पर्वतीय क्षेत्रों में समन्वित मत्स्य पालन द्वारा पलायन पर रोक विषय पर विस्तृत जानकारी प्रदान की। प्रशिक्षण के दौरान परिसर में कार्यरत श्री डी. एस. बिष्ट ने प्रतिभागियों को ग्रामीण तकनीकी परिसर का भ्रमण कराकर वहॉ प्रदर्शित पर्यावरण मित्र सरल एवं सस्ती तकनीकों की जानकारी दी। इस अवसर पर उद्योगिनी संस्था के प्रबन्धन श्री मनोज करायत ने सरपंचों को प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया तथा यह प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए संस्थान का धन्यवाद अदा किया। प्रशिक्षण शिविर में संस्थान के शोधार्थी हनी भटट् एवं अदिति मिश्रा की उपस्थित थे।