भाकृअनुप- विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के प्रयोगात्मक प्रक्षेत्रा, हवालबाग में दिनांक 2 फरवरी 2023 को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति संवेदीकरण विषय पर दो दिवसीय कृषक जागरूकता कार्यशाला का शुभारंभ माकृअनुप गीत के साथ किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ एम. मधु निदेशक, भाकृअनुप- भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून ने कहा कि हमारे कृषक एवं शोध संस्थान बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं जिसके फलस्वरूप आज भारतवर्ष स्वयं फसल उत्पादन करने के साथ ही विदेशों को भी निर्यात कर रहा है। उन्होंने कृषकों को भविष्य में व्यापारी किसान के रूप में देखने हेतु कहा। उन्होंने कहा आज हमें प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं फसल विविधिकरण की आवश्यकता है तभी हम जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में सक्षम हो सकते हैं। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि प्रो. सुनील नौटियाल, निदेशक, गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान, अल्मोड़ा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के मध्येनजर आज कृषि करना अत्यन्त चुनौतीपूर्ण हैं। भाकृअनुप- विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा उत्कृष्ट कार्य कर रहा है तभी यहां के किये गये शोधों को सभी आत्मसात कर रह हैं। उन्होंने सभी के समक्ष पारिस्थितिकी तंत्रा के महत्व को बताते हुए अपने संस्थान में किये जा रहे शोध कार्यों की जानकारी दी तथा औषधीय पौधों द्वारा आय बढ़ाने पर बल दिया। विशिष्ट अतिथि डॉ. ए. के. मोहन्ती, संयुक्त निदेशक, भाकृअनुप- भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, मुक्तेश्वर ने कहा कि पशुधन एक अमूल्य संपदा है। उन्होंने कृषकों को पशुधन प्रबन्धन एवं इसको पर्यावरण संरक्षण हेतु लाभप्रद बनाने की जानकारी दी। इस संस्थान के निदेशक डॉ लक्ष्मी कान्त द्वारा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों एवं उनके निराकरण हेतु विकसित प्रजातियों एवं तकनीकियों की जानकारी दी। अन्तर्राष्ट्रीय कदन्न वर्ष 2023 को देखते हुए उन्होंने कदन्न फसलों की विशेषताओं एवं संस्थान द्वारा इन फसलों की विकसित प्रजातियों से सभी आगन्तुकों को अवगत कराया। कार्यक्रम के आरंभ में डॉ बृज मोहन पाण्डे, कार्यक्रम समन्व्यक ने जलवायु परिवर्तन हेतु कृषक धारणा एवं जागरूकता – हिमालयी कृषि पर कार्यबल विषय पर प्रस्तुतीकरण दिया तथा कार्यक्रम का सफल संचालन किया। इस कार्यशाला में अल्मोड़ा, नैनीताल, बागेश्वर तथा चमोली जिले के 135

कृषकों एवं विद्यार्थियों ने भागीदारी की। साथ ही कुछ कृषकों ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किये। धन्यवाद प्रस्ताव डॉ कुशाग्रा जोशी, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने ज्ञापित किया।