अल्मोड़ा – गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी कटारमल, अल्मोड़ा के जैव विविधता संरक्षण एवं प्रबंधन केन्द्र द्वारा राजकीय इंटर कालेज मजखाली, जनपद अल्मोड़ा में वन्यजीव सप्ताह के अर्न्तगत एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए श्री राजेश पाण्डे, प्राध्यापक, राजकीय इंटर कालेज मजखाली ने वन्यजीव सप्ताह के महत्व, संरक्षण प्रयासों, जनमानस की भागीदारी की जानकारी दी। इसी क्रम में वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 आशीष पाण्डे द्वारा संस्थान द्वारा भारतीय हिमालयी क्षेत्रों में किये जा रहे प्रयासों एवं शोध परियोजनाओं पर प्रकाश डाला तथा 69वीं वन्यजीव सप्ताह के ऊपर जानकारी साझा की गयी। उन्होनें बताया कि वर्ष 1952 से वन्य जीव सुरक्षा हेतु पहल को प्रारम्भ किया गया था। जिसका मुख्य उद्देश्य संकटग्रस्त वन्यजीवों की रक्षा करना एवं जन समुदायों को जागरूक करना है। इसी क्रम में सर्वप्रथम वर्ष 1955 में वन्यजीव बोर्ड की स्थापना की गयी थी, साथ ही बोर्ड द्वारा वर्ष 1957 में वन्य जीव दिवस के स्थान पर 2 से 8 अक्टूबर को वन्यजीव सप्ताह की शुरुआत की गयी। वर्तमान में हम 69वाँ वन्यजीव सप्ताह को मना रहे है जिसका मुख्य विषय पार्टनरशीप फॉर वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन है। इसी प्रयास के तहत हम सभी विद्यार्थीयों अध्यापकों ग्रामीणों, समाजसेवी आदि को अपने आस-पास के वन्य जीवों, पादपों, जैव-विविधता को संरक्षित करने हेतु मिलकर प्रयासरत रहना चाहिए। इसी क्रम में राजकीय इंटर कालेज के प्रधानाचार्य महोदय श्री दिनेश चन्द्र टम्टा ने विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार के उदाहरण देकर वन्य जीवों के महत्वता एवं संरक्षण विषय पर जानाकरी दी। उन्होंने बताया कि पारिस्थितिकी तंत्र को बनाये रखने के लिए हमें सभी प्रकार के जीवों की आवश्यकता है। यह पारिस्थितिकी तंत्र केवल मनुष्य का नहीं है इसमें जीव-जन्तु तथा मनुष्य दोनो की भागीदारी महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा० सतीश आर्या द्वारा विद्यार्थियों को “वन्य जीव संरक्षण के लिए साझेदारी” विषय पर प्रस्तुतीकरण द्वारा व्याख्यान दिया जो कि कार्यशाला का मुख्य बिन्दु था। उन्होनें विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों का चित्रण अपने प्रस्तुतीकरण में किया तथा पारिस्थितिकी में उनके महत्व को समझाया। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए उन्होने बताया कि लगातार हो रहे भूमि कटान एवं वनाग्नि से जीव जन्तु के आवास का क्षरण हो रहा है जिससे उनकी संख्या में लगातार कमी आ रही है। इन्हीं कारणवश विभिन्न जीव-जन्तु जैसे हिम तेन्दुआ, एशियाई हाथी तथा चीता आदि आई0यू00सी0एन0 के ताजा आकड़ों के अनुसार संकटग्रस्त श्रेणी में आ चुके है। उन्होने बताया कि कैसे इन संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण हेतु विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम निरन्तर आयोजित किये जाने की आवश्यकता है। कार्यक्रम को आगे बढाते हुए विद्यार्थीयों के बीच तीन प्रतियोगिताएं (निबन्ध लेखन, चित्रकला एवं प्रश्नोत्तरी) आयोजित की गई जिसमें निबंध प्रतियोगिता में करन कुमार कक्षा 11 बी, चित्रकला में मोनिका चन्द्रा कक्षा 8वीं एवं प्रश्नोत्तरी में भूमिका जलाल 9 बी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसके उपरान्त संस्थान द्वारा सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र एवं विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरित किये गये। कार्यक्रम के दौरान सभी प्रतिभागियों ने मिलकर स्वच्छता अभियान के अन्तर्गत विद्यालय परिसर में सफाई की। कार्यक्रम के समापन में संस्थान के शोधार्थी श्री बसन्त सिंह ने प्रधानाचार्य महोदय, संस्थान निदेशक प्रो० सुनील नौटियाल, केन्द्र प्रमुख डा० आई०डी० भट्ट, वरिष्ठ वैज्ञानिक डा० सतीश आर्या, डा० आशीष पाण्डे, शोधार्थियों एवं कार्यक्रम में उपस्थित सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद दिया। कार्यक्रम में संस्थान से दीप चन्द्र तिवारी, कविता विष्ट, मनोज मेहता सहित 87 प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।