जिलाधिकारी अल्मोड़ा द्वारा दिये गये दिशानिर्देशों के क्रम में कोसी नदी और उसे जलापूर्ति करने वाले गाड़, गधेरों और धारों को संरक्षित एवं संवर्धित करने हेतु जनसहभागिता एकत्रित करने, कोसी नदी पुनर्जीवन अभियान को जन अभियान बनाने, समुदाय से सुझाव इकठ्ठा करने, स्थानीय स्तर पर जंगलों,जल स्त्रोतों के संरक्षण और संवर्धन हेतु टीम गठित करने के उद्देश्य से कल दिनांक 12-10-22 को पंडित गोवर्धन शर्मा इंटर कालेज ज्योली और राजकीय इंटर कालेज कठपुडि़या में जागरूकता बैठक का आयोजन किया गया।
कार्यक्रमों में उपस्थित ग्राम प्रधानों, सरपंचों, शिक्षकों और विद्यार्थियों को  गजेन्द्र पाठक, फार्मेसिस्ट, स्वास्थ्य उपकेन्द्र सूरी द्वारा पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से कोसी नदी और उसे जलापूर्ति करने वाले गाड़, गधेरों और धारों के जल स्तर में आ रही गिरावट के लिए जिम्मेदार कारकों मानवीय जरूरतों यथा कृषि उपकरणों और जलौनी लकड़ी के लिए मिश्रित जंगलों के अनियंत्रित और अवैज्ञानिक दोहन,वनाग्नि और वैश्विक तापवृद्धि से उत्पन्न जलवायु परिवर्तन के बारे में जानकारी दी गई। जंगलों का अनियंत्रित और अवैज्ञानिक दोहन रोकने, ओण जलाने की परंपरा को समयबद्ध और व्यवस्थित करने हेतु मार्च महीने तक ही ओण/आडा़/केडा़ जलाकर वनाग्नि नियंत्रण में सहयोग करने और ग्रीष्म ऋतु में जंगलों की आग पर नियंत्रण पाने में वन विभाग को सूचना/ सहयोग देने की अपील की गई। वर्षाजल के संरक्षण के लिए गुणवत्ता युक्त निर्माण कार्य करने की भी अपील की गई।
कार्यक्रमों में उपस्थित  लोगों द्वारा कोसी नदी पुनर्जीवन अभियान के संबंध में निम्नलिखित विवरणानुसार सुझाव दिए गए

1-श्री विक्रम सिंह, प्रवक्ता, पंडित गोवर्धन शर्मा इंटर कालेज ज्योली-  रोपित किए जाने वाले पौधों को समुचित संरक्षण दिया जाना चाहिए।रोपे जाने वाले पौधों की संख्या कम हो सकती है मगर सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए।
2-श्री गिरीश चन्द्र शर्मा, प्रबंधक, पंडित गोवर्धन शर्मा इंटर कालेज ज्योली – एक अभियान चलाकर गैस कनेक्शन से वंचित सभी परिवारों को खाना पकाने की गैस के कनैक्शन दिये जाने चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को रियायती दर पर गैस सिलेंडर दिए जाने चाहिए ताकि जंगलों का कटान रोकने में मदद मिले। सभी जरूरतमंद परिवारों को वी एल स्याही हल उपलब्ध कराया जाये।
आग बुझाने में सहयोग करने वाले लोगों को 20 लाख रुपए का बीमा कवच प्रदान किया जाये।
3-श्री देव सिंह भोजक, ग्राम प्रधान, ज्योली -जंगलों की आग जल स्रोतों के लिए सबसे बड़ा खतरा है इसके निवारण के लिए प्रतिमाह जनजागृति अभियान चलाया जाना चाहिए। वनाग्नि से निपटने के लिए स्थानीय स्तर पर व्हेटसप समूह का गठन किया जाएगा।
4- श्री बसंत बल्लभ जोशी, सरपंच,पतलना -लीसा दोहन की वर्तमान रिल पद्धति जंगलों की आग फैलने और चीड़ के पेड़ों को नुकसान में सहायक सिद्ध हो रही है।इस पद्धति को बदलना चाहिए।
5-श्री भुवन कांडपाल, ग्राम प्रधान,बंगसर – जल स्त्रोतों के निकट, वर्षाजल संग्रहण के लिए चाल,खाल, गड्ढे बनाने की जरूरत है।
6-श्री राजेन्द्र जोशी, ग्राम प्रधान,कुरचौन -मनरेगा में मजदूरी की दरें बेहद कम होने से मनरेगा के अंतर्गत कराये जा रहे जल संरक्षण के कार्यों में गुणवत्ता नहीं आ रही है। गुणवत्ता युक्त निर्माण कार्य के लिए मनरेगा में मजदूरी की दरें बढ़ाई जानी चाहिए।वन्य जीवों के द्वारा खेती बागवानी को नुकसान किया जा रहा है।वन्य जीवों से खेती बागवानी को हो रहे नुकसान को कम करने के उपाय किए जाने चाहिए।
7-सुश्री नीलम ग्वाल, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी,शीतलाखेत – पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से बेहद महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है इस तरह के कार्यक्रम ग्राम सभा स्तर पर भी आयोजित किए जाने की जरूरत है।
8- श्री बलवीर सिंह, ग्राम प्रधान कटारमल -खेतों की जुताई न होने से वर्षा जल के संरक्षण में कमी आयी है।

दोनों कार्यक्रमों में  गणेश सिंह,हर्षिता पांडेय, प्रकाश कुमार, जनार्दन तिवारी, भारती भट्ट, गोपाल सिंह, कविता ग्वाल, गजेन्द्र उपाध्याय, देव सिंह भोजक, किरन सलाल, कविता देवी, रूचि मेहता, किशोर चंद्र,हेमा देवी दोनों विद्यालयों के प्रधानाचार्यों, अध्यापकों लगभग दो सौ विद्यार्थियों के अलावा ढैंली, ज्योली, गढ़वाली, कनेली कटारमल,बिसरा,स्यूना,कुरचौन, पतलना, बंगसर के ग्राम प्रधान, सरपंच और वार्ड मेंबर ,वन विभाग और पंचायती राज विभाग द्वारा प्रतिभाग किया गया।
सुझाव
1- पंडित गोवर्धन शर्मा इंटर कालेज ज्योली के समीप कुछ पहाड़ियों में पौधारोपण पद्धति से नये जंगल विकसित करने की अच्छी संभावनाएं हैं क्योंकि ये पहाड़ियां वृक्ष विहीन हैं जहां वनाग्नि का खतरा न्यूनतम है।
2-राजकीय इंटर कालेज कठपुडि़या के चतुर्दिक क्षेत्र में ए एन आर पद्धति से जंगल विकसित हो रहे हैं इन्हें वनाग्नि और अनियंत्रित और अवैज्ञानिक दोहन से बचाने पर बेहतर जंगल विकसित किए जा सकते हैं।
3 – इंटर कॉलेजों को इकाई बनाकर शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, राजस्व विभाग,वन विभाग और पंचायती राज विभाग के सहयोग से अभिभावकों, महिला मंगल दलों,  स्वयं सहायता समूहों, जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं की टीम  गठित किया जाना उचित होगा जो स्थानीय जल स्त्रोतों, जंगलों, जैवविविधता के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रयास करने के साथ साथ वनाग्नि नियंत्रण और रोकथाम में मदद करें।