अल्मोड़ा, उत्तराखंड: राज्य सरकार द्वारा जनता की समस्याओं के त्वरित समाधान हेतु शुरू किए गए सीएम पोर्टल की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। अल्मोड़ा स्थित प्रसिद्ध नंदा देवी मंदिर को जाने वाले एल.आर. साह रोड में शौचालय के पास की टूटी सड़क को लेकर की गई शिकायत पर विभागीय अधिकारियों की प्रतिक्रिया ने सरकार की गंभीरता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है।
यह मार्ग स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। रोजाना सैकड़ों लोग इस मार्ग से आवाजाही करते हैं, जिसमें आम नागरिकों के साथ विभागीय अधिकारी भी शामिल हैं। इसके बावजूद, सड़क की जर्जर हालत पर वर्षों से कोई ठोस कार्य नहीं किया गया। टूटे मार्ग के कारण दुर्घटना की आशंका बनी रहती है, और बारिश के मौसम में स्थिति और भी भयावह हो जाती है।

शिकायतकर्ता द्वारा सीएम पोर्टल पर इस विषय में शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसके बाद संबंधित विभाग के एक अधिकारी ने फोन पर संपर्क कर कार्य के लिए समय मांगा और यह भी कहा कि मरम्मत हेतु आवश्यक सामग्री बाहर से मंगाई जा रही है। इससे यह उम्मीद जगी कि अब कार्य गंभीरता से होगा। लेकिन जब मरम्मत का कार्य हुआ, तो वह भी बेहद “कामचलाऊ” ढंग से किया गया। टूटे हुए स्थान को दुरुस्त करने की बजाय सामने के पैराफिट की दीवार के कुछ पत्थर निकालकर उसे भरने की औपचारिकता निभा दी गई।
और तो और, कार्य के बाद शिकायतकर्ता को कोई सूचना तक नहीं दी गई, न ही कोई निरीक्षण हुआ। इससे स्पष्ट होता है कि संबंधित अधिकारियों को अब न तो सरकार का भय है, न ही जनता की समस्याओं का कोई ख्याल। यह उदाहरण सिर्फ एल.आर. साह रोड का नहीं, बल्कि प्रदेश भर में फैली उस लापरवाही की बानगी है, जहां शिकायतों को सिर्फ “डिस्पोज़” करना ही मुख्य उद्देश्य रह गया है, समाधान नहीं।
प्रश्न यह है कि जब एक धार्मिक स्थल की ओर जाने वाले मार्ग की मरम्मत को लेकर इतनी उदासीनता दिखाई जाती है, तो अन्य स्थानों की स्थिति क्या होगी? ऐसे में मुख्यमंत्री पोर्टल की उपयोगिता और उसकी निगरानी पर गंभीर पुनर्विचार की आवश्यकता है।
सरकार को चाहिए कि वह ऐसे मामलों पर संज्ञान ले, न केवल शिकायतों को तकनीकी रूप से बंद किया जाए, बल्कि ज़मीनी स्तर पर कार्य की गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए। अन्यथा, जनता का विश्वास इन योजनाओं से पूरी तरह उठ जाएगा, और शिकायत करना महज औपचारिकता बनकर रह जाएगा।