अल्मोड़ा लिटरेचर फेस्टिवल का दूसरा दिन सांस्कृतिक रंग में रंगा रहा, जहां साहित्यकारों और कलाकारों ने अपने विचारों और प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया। इस कार्यक्रम का आयोजन ग्रीन हिल ट्रस्ट के तत्वाधान में किया गया, जिसने इसे एक विशेष पहचान दी है।
कार्यक्रम की शुरुआत कबीर के दोहों के साथ उमेश कबीर द्वारा की गई, जिसने एक आध्यात्मिक वातावरण तैयार किया। इस दिन का सबसे खास कार्यक्रम था, “एक बहुमुखी हिंदी साहित्यकार” जिसमें लेखक अशोक पांडेय ने अपने विचार साझा किए। इस चर्चा का संचालन एस ए हामिद ने किया, और दर्शकों ने इसे खूब सराहा।
साहित्यकारों को सम्मानित करने का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसमें राजीव मैकुलन और त्रिलोचन शास्त्री को उनकी उत्कृष्ट रचनाओं के लिए सम्मानित किया गया। यह समारोह साहित्य की दुनिया में उनके योगदान को मान्यता देने का एक महत्वपूर्ण अवसर था।
इसके बाद, महाभारत पर आधारित “धर्म और धर्म संकट” कार्यक्रम हुआ, जिसमें प्रोफेसर पुरुषोत्तम अग्रवाल ने महाभारत की गहराइयों में जाकर आध्यात्मिक चर्चा की। डॉक्टर दीपा गुप्ता ने इस विषय पर साक्षात्कार लिया, जिसने श्रोताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया।
“फूड टेल्स ऑफ़ ट्रेडीशन हेरिटेज” कार्यक्रम के माध्यम से खानपान की विविधता और इसकी सांस्कृतिक महत्वता पर प्रकाश डाला गया। यह सत्र दर्शकों को भारतीय खाने की परंपराओं से परिचित कराने में सफल रहा।
इसके अलावा, “कलर ऑफ अल्मोड़ा”, “द सेंटेंस”, “वायरस का बॉलीवुड”, “नादरंग”, “कितनी हकीकत कितना फसाना”, “कविता घर” और “चाजंर सभा” जैसे कई मुख्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। प्रत्येक कार्यक्रम ने साहित्य, कला और संस्कृति की विभिन्न शैलियों को उजागर किया, जिससे दर्शकों को नई जानकारी और अनुभव प्राप्त हुए।
अल्मोड़ा की जनता का उत्साह और प्यार इस कार्यक्रम में स्पष्ट रूप से देखा गया। सैकड़ों की संख्या में लोग इस महोत्सव में भाग ले रहे थे, जो इसके प्रति उनके गहरे जुड़ाव को दर्शाता है। जनता ने इस कार्यक्रम के प्रति अपनी प्रसन्नता भी जाहिर की, जिससे आयोजकों को प्रेरणा मिली।
इस आयोजन में ग्रीन हिल ट्रस्ट की सचिव डॉ वसुधा पंत, डॉ भूपेंद्र सिंह वाल्दिया, मनमोहन चौधरी (संचालक), जयमित्र बिष्ट, एड विनायक पंत, दीपा गुप्ता, प्रो हामिद, मनोज गुप्ता, विनोद तिवारी (मीडिया प्रमुख), और रश्मि सेलवाल (संचालिका) जैसे प्रमुख व्यक्तियों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं।
अल्मोड़ा लिटरेचर फेस्टिवल ने साहित्य और कला के प्रति एक नई जागरूकता पैदा की है। यह कार्यक्रम न केवल अल्मोड़ा, बल्कि समूचे उत्तराखंड में साहित्य प्रेमियों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बनता जा रहा है। भविष्य में इस तरह के और कार्यक्रमों की अपेक्षा की जा सकती है, जो स्थानीय प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करेंगे और सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा देंगे।
इस प्रकार, अल्मोड़ा लिटरेचर फेस्टिवल न केवल साहित्य की दुनिया में एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है, बल्कि यह लोगों को एक साथ लाकर सांस्कृतिक संवाद को भी प्रोत्साहित करता है। यहाँ की जीवंतता और कला का जश्न एक बार फिर दर्शाता है कि साहित्य और कला के प्रति लोगों का लगाव कभी कम नहीं होगा।