अल्मोड़ा।
शहर में जन परिवहन को सुलभ बनाने के उद्देश्य से शिखर तिराहे से आरसीएम मॉल तक संचालित किए जा रहे ई-रिक्शा अब अपनी सीमाएं लांघते नजर आ रहे हैं। पहले इन्हें केवल यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए अनुमति दी गई थी, लेकिन अब ये रिक्शा खुलेआम माल ढुलाई का कार्य भी करने लगे हैं। इस कारण शहर में छोटे मालवाहन चालकों की रोजी-रोटी पर संकट गहराता जा रहा है।
स्थानीय व्यापारियों और वाहन चालकों का कहना है कि जब ई-रिक्शा की शुरुआत हुई थी, तब यह कहा गया था कि यह केवल यात्रियों के परिवहन तक ही सीमित रहेंगे। लेकिन अब स्थिति यह है कि दुकानों से माल भरकर ये रिक्शा मुख्य सड़कों और यहां तक कि तय सीमा से बाहर वाली जगह तक में सामान ढोने लगे हैं। इससे जहां ट्रैफिक व्यवस्था प्रभावित हो रही है, वहीं मालवाहन चालकों की रोजाना की आय भी घट गई है।
एक चालक, जो पिछले दस वर्षों से लोडर वाहन चला रहे हैं, कहते हैं,
“हम दिन भर में मुश्किल से दो-तीन चक्कर ही लगा पाते हैं। अब ई-रिक्शा कम दाम में दुकानों से सामान उठा रहे हैं, जिससे दुकानदार भी उन्हें प्राथमिकता दे रहे हैं। हमारी आजीविका पर सीधा असर पड़ा है।”
प्रशासन द्वारा इन ई-रिक्शा के संचालन की निगरानी ना के बराबर है। न ही इनसे माल ढुलाई की अनुमति ली गई है, न ही इनका कोई पंजीकरण इस उद्देश्य के लिए किया गया है। फिर भी ये खुलेआम लोडर की तरह माल भरते और पहुंचाते देखे जा सकते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि समय रहते इस पर सख्ती नहीं बरती गई तो आने वाले समय में ट्रैफिक से लेकर रोजगार तक हर क्षेत्र में गड़बड़ी देखने को मिलेगी। साथ ही, ई-रिक्शा चालकों की मनमानी और नियमों का उल्लंघन भी बढ़ता जाएगा।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस समस्या को गंभीरता से लेता है या फिर यह भी उन समस्याओं में शामिल हो जाएगा जिन पर केवल बैठकें होती हैं, समाधान नहीं।
ई-रिक्शा से माल ढुलाई शुरू, माल वाहनों पर संकट के बादल
प्रशासन की अनदेखी से बढ़ रही अव्यवस्था

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