अल्मोड़ा में आज सुबह वोगनवेलिया व देवदार वृक्ष के ढहने पर मेरी भावनाओं की अभिव्यक्ति.????????
(निश्चित है निर्वाण)
एक वृक्ष देवदार का खड़ा सदियों से आकाश चूमता
संग अपने ले लता रक्तिम वोगनवेलिया की झूमता
सह अस्तित्व वृक्ष युगल एक दूजे में खोजता
संदेश अद्भुत जगत को दे मन सबका मोहता।
वह इतिहास नगर का जीवंत सुंदरता का प्रतिमान
वह स्मृतियों की अमर कथा जड़ता में जीवन का उपमान
वह पथिक की शीतल छांव खग वृंदों का उन्मुक्त आह्वान
वह खड़ा गगन में युगल आकर्षण मानो सबको देता सम्मान।
यह नियति का अद्भुत विधान प्रकृति का प्राविधान
यह सह अस्तित्व साथ हुआ तिरोहित नगर हृदय की पहिचान
यह गिरे धरा पर साथ साथ एक सच्चे संगी साथी समान
यह दृश्य विदारक घन बरसे अंबर से निरख इनका अवसान।
जो टूटे वह केवल एक वृक्ष लता नहीं जीवन विकास के थे प्रमाण
जो गिरे बंधे परस्पर एक दूजे से वह भावनाओं का था महाप्रयाण
वह नगर जीवन के अभिन्न अंग जीवंत समर्पण के थे परिमाण
वह ढहा स्मृतियों का महासमुच्चय कहता निश्चित है निर्वाण।
(कवीन्द्र पन्त);