पूर्व मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भेजा है कर्नाटक ने ज्ञापन में कहा है कि उत्तराखण्ड राज्य में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अन्र्तगत कार्यरत आशा वर्कर्स को अपने कार्यक्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा सम्बन्धी जानकारी देने, प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने, उपलब्ध सुविधाओं के उपभोग हेतु परामर्श देने,जटिल केसों को सन्दर्भित करने तथा उन्हें स्वास्थ्य सेवा केन्द्र पहुंचाने में मदद करने, ग्राम स्वास्थ्य योजना बनाने में सहायता करने ,लोगों को सफाई व स्वच्छता के प्रति जागरूक करने जैसे कार्य एवं उत्तरदायित्व सौंपे गये हैं । उपरोक्त के अतिरिक्त स्वास्थ्य दिवस आयोजित कर उसमें स्वच्छता पोषण,गर्भावस्था के दौरान देखभाल, टीकाकरण, सुरक्षित प्रसव आदि की जानकारी देना भी आशा कार्यकर्ती के दायित्व हैं । इस कोरोना काल में आशाओं को मास्क, ग्लब्ज, सैनिटाईजर, थर्मल स्क्रीनिंग डिवाईस, पी.पी.ई.किट जैसी कोई सुविधा भी उपलब्ध नहीं है । पूर्व में आशा वर्कर्स की नियुक्ति केवल मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर रोकने के लिए की गई थी।
लेकिन अब उत्तराखण्ड सरकार ने जो आदेश जारी किये गये हैं उसके अनुसार कोरोना काल में आशाओं को अपने क्षेत्रों में उच्च रक्तचाप रोगी, शूगर, दिल की बीमारी, सांस सम्बन्धी रोगी, टी.वी. सर्दी-जुखाम, ज्वर से ग्रसित ,कुपोषित बच्चों का विवरण, डेंगू, मलेरिया, उल्टी-दस्त से ग्रसित मरीजों, 65 वर्ष की आयु से अधिक वरिष्ठ नागरिकों का नाम व विवरण, गर्भवती व धात्री स्त्रियों के विवरण की सूचना भी प्रेषित की जानी है।
ऐसे आशा वर्कर्स जिन्हें सुविधा/मानदेय के रूप में मात्र रू. दो हजार की धनराशि दी जा रही है एवं अन्य महत्वपूर्ण कार्यो के भत्ते के रूप में रू. एक हजार छः सौ पचास मात्र दिया जाना नियत हुआ है । वहीं विगत नवम्बर 2019 से मिलने वाला मानदेय मात्र रू.दो हजार भी इस अवधि में आज दिनांक तक नहीं मिला है ।
कर्नाटक ने कहा कि जहां पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री हरीश रावत की सरकार द्वारा इन आशा वर्कर्स को रू. दो हजार मानदेय व तीन हजार अन्य कार्यो के दिया जाना नियत किया गया था किन्तु वर्तमान सरकार द्वारा रू. तीन हजार की कटौती कर मात्र रू. एक हजार छःसौ पचास अन्य कार्यो का दिया जा रहा है । इस कोरोना काल में न तो इन कर्मचारियों का बीमा किया गया है न ही सर्वाधिक कार्य करने के पश्चात इन्हें कोरोना वारियर्स घोषित किया गया है और न ही इन्हें इस अवधि में कोई प्रोत्साहन राशि ही दी गयी ।
कर्नाटक ने कहा कि इन कर्मचारियों के ऊपर डाले गये इस अनावश्क बोझ को मानवीय व कर्मचारी हित में हटाया जाना चाहिये एवं इन आशा वर्कर्स को तत्काल पूर्व देय निस्तारित करने तथा बीमा कर ,बढे हुये मानदेय एवं भत्ते,सुविधा उपकरण इस कोरोना काल से ही दिये जाने का आदेश निर्गत करने की कृपा करें । जिससे इन आशा वर्कर्स को इस दौरान दोगुने उत्साह से कार्य करने की उर्जा प्राप्त हो और इस राज्य में कोरोना संक्रमण को रोकने में ये अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करते रहेंगे ।