अल्मोड़ा-उत्तराखण्ड प्रदेश के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और आन्ध्रप्रदेश के पूर्व राज्यपाल,पूर्व केन्द्रीय मंत्री और महान स्वतंत्रता सेनानी,संसदीय भाषाज्ञान के मर्मज्ञ,विकास पुरुष स्व० नारायण दत्त तिवारी की चतुर्थ पुण्यतिथि एवं 97 वीं जयन्ती पर कांग्रेस जनों ने जिला कांग्रेस कार्यालय में उन्हें भावपूर्ण श्रद्वांजली अर्पित की।इस अवसर पर जिलाध्यक्ष पीताम्बर पाण्डेय ने कहा कि कांग्रेस के साथ तिवारी का रिश्ता 1963 से शुरू हुआ। 1965 में वह कांग्रेस के टिकट से काशीपुर विधानसभा क्षेत्र से चुने गए और पहली बार मंत्रिपरिषद में उन्हें जगह मिली।कांग्रेस के साथ उनकी पारी कई साल चली।1968 में जवाहरलाल नेहरू युवा केंद्र की स्थापना के पीछे उनका बड़ा योगदान था।1969 से 1971 तक वे कांग्रेस की युवा संगठन के अध्यक्ष रहे।1 जनवरी 1976 को वह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।यह कार्यकाल बेहद संक्षिप्त रहा।1977 के जयप्रकाश आंदोलन की वजह से 30 अप्रैल को उनकी सरकार को इस्तीफा देना पड़ा।
तिवारी तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।वह अकेले राजनेता हैं जो दो राज्यों के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उत्तर प्रदेश के विभाजन के बाद वे उत्तरांचल के भी मुख्यमंत्री बने।केंद्रीय मंत्री के रूप में भी उन्हें याद किया जाता है।1990 में एक वक्त ऐसा भी था जब राजीव गांधी की हत्या के बाद प्रधानमंत्री के तौर पर उनकी दावेदारी की चर्चा भी हुई।पर आखिरकार कांग्रेस के भीतर पीवी नरसिंह राव के नाम पर मुहर लग गई।बाद में उन्होंने 2002 से 2007 के बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।जिसे उत्तर प्रदेश से विभाजित कर बनाया गया था।19 अगस्त 2007 को तिवारी आंध्रप्रदेश के राज्यपाल बनाए गए।इस अवसर पर जिलाध्यक्ष पीताम्बर पाण्डेय,जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष तारा चंद्र जोशी, प्रदेश सचिव परितोष जोशी,जिला प्रवक्ता राजीव कर्नाटक,जिला सचिव दीपांशु पाण्डेय,हर्ष कनवाल,महेश चन्द्र आर्या,हर्ष कनवाल,राबिन भण्डारी,महिला जिलाध्यक्ष लता तिवारी,राधा बिष्ट, नारायण दत्त पाण्डेय,वैभव पाण्डेय,नूर अकरम खान,पंकज काण्डपाल,कार्तिक साह,गीता मेहरा,लीला जोशी सहित दर्जनों कांग्रेस जन उपस्थित रहे।