मुख्य वक्ता डॉ. ममता पंत ने हिन्दी को बताया सांस्कृतिक एकता का आधार
अल्मोड़ा |
भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, हवालबाग, अल्मोड़ा में दिनांक 23 जून 2025 को “बदलते वैश्विक परिदृश्य में हिन्दी और आत्मनिर्भर भारत” विषयक कार्यशाला का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ परिषद गीत से हुआ।
कार्यशाला में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में हिन्दी विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा की सहायक प्राध्यापिका डॉ. ममता पंत ने प्रतिभाग किया।
कार्यक्रम की शुरुआत में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रमेश सिंह पाल ने सभी अतिथियों एवं सहभागियों का स्वागत किया।
संस्थान के कार्यकारी निदेशक डॉ. निर्मल कुमार हेडाउ ने अपने उद्घाटन भाषण में हिन्दी की वैश्विक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिन्दी दुनिया की उन गिनी-चुनी भाषाओं में से एक है, जो 70 प्रतिशत से अधिक लोगों के संप्रेषण का माध्यम है। उन्होंने बताया कि संस्थान में अधिकतर वैज्ञानिक एवं प्रशिक्षण सामग्री हिन्दी में प्रकाशित की जाती है, ताकि पर्वतीय किसानों तक अनुसंधान की जानकारी सरलता से पहुंचाई जा सके। डॉ. हेडाउ ने कहा कि आज संयुक्त राष्ट्र समेत वैश्विक मंचों पर भी हिन्दी की गूंज सुनाई दे रही है।
हिन्दी केवल तरल भाषा नहीं, ठोस यथार्थ है – डॉ. ममता पंत
मुख्य वक्ता डॉ. ममता पंत ने अपने उद्बोधन की शुरुआत “सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा” से करते हुए कहा कि हिन्दी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि विचारों को व्यक्त करने का सशक्त माध्यम है। उन्होंने हिन्दी के ऐतिहासिक, सामाजिक व सांस्कृतिक पक्षों को रेखांकित करते हुए कहा कि हिन्दी की 5 उपभाषाएं और 17 प्रमुख बोलियां हैं, जो इसे विविधता में एकता का प्रतीक बनाती हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि देश में लगभग 45 प्रतिशत लोग हिन्दी को संपर्क भाषा के रूप में प्रयोग करते हैं, जबकि 70 प्रतिशत से अधिक लोग इसे द्वितीयक भाषा के रूप में अपनाते हैं। डॉ. पंत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वैश्विक मंचों पर हिन्दी में दिए गए भाषणों का उल्लेख करते हुए हिन्दी की वैश्विक प्रतिष्ठा को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका के 113 विश्वविद्यालयों में हिन्दी का अध्ययन कराया जा रहा है, जो इसकी अंतरराष्ट्रीय स्वीकृति को दर्शाता है।
प्रशासनिक सहभागिता और समापन
कार्यशाला में फसल सुरक्षा प्रभागाध्यक्ष डॉ. कृष्ण कान्त मिश्रा, सामाजिक विज्ञान अनुभागाध्यक्ष डॉ. कुशाग्रा जोशी सहित संस्थान के सभी वैज्ञानिक, अधिकारी, तकनीकी, प्रशासनिक व सहायक वर्ग के कर्मचारी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन संस्थान की मुख्य तकनीकी अधिकारी एवं राजभाषा प्रभारी रेनू सनवाल ने किया तथा धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. कृष्ण कान्त मिश्रा द्वारा दिया गया।