अल्मोड़ा में इस वर्ष श्री राम सांस्कृतिक एवं सामाजिक सेवा समिति द्वारा महिला रामलीला का भव्य आयोजन किया गया, जिसने न केवल सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का कार्य किया, बल्कि महिलाओं की प्रतिभा और सहभागिता को भी एक नई दिशा दी। यह आयोजन स्थानीय लोगों के लिए एक प्रेरणास्पद और अनुकरणीय उदाहरण बनकर उभरा है, जिसमें समाज की महिलाओं ने भरपूर उत्साह और समर्पण के साथ भाग लिया।
महिला रामलीला का यह आयोजन अपने आप में विशिष्ट और अद्वितीय था, क्योंकि आमतौर पर रामलीला के मंचन में पुरुष कलाकारों की भूमिका प्रमुख होती है। परंतु इस आयोजन में महिलाओं ने रामायण के विभिन्न पात्रों को इतनी निपुणता और जीवंतता से निभाया कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। राम, लक्ष्मण, सीता, हनुमान, रावण, मंथरा, कैकयी जैसे प्रमुख पात्रों को निभाने वाली महिलाओं ने न केवल अपने अभिनय से, बल्कि संवाद अदायगी, हाव-भाव और भावनात्मक प्रस्तुति से भी मंच को जीवंत कर दिया।
इस रामलीला का उद्देश्य केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं था, बल्कि यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रभावशाली प्रयास भी सिद्ध हुआ। इसमें भाग लेने वाली महिलाओं में गृहिणियाँ, छात्राएँ, शिक्षकाएँ, और विभिन्न पेशों से जुड़ी महिलाएँ शामिल थीं। उन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ इस सांस्कृतिक आयोजन के लिए समय निकालकर न केवल समाज को एक सकारात्मक संदेश दिया, बल्कि यह सिद्ध किया कि यदि अवसर मिले तो महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं।
आयोजन की तैयारियाँ कई सप्ताह पहले से आरंभ हो गई थीं। महिला कलाकारों ने अभिनय, संगीत, नृत्य और वेशभूषा के क्षेत्र में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया। स्थानीय संगीतकारों और रंगकर्मियों ने भी इस आयोजन को सफल बनाने में सहयोग किया। मंच सज्जा, पारंपरिक परिधान, संगीत और प्रकाश व्यवस्था का समन्वय इतना उत्कृष्ट था कि सम्पूर्ण वातावरण एक दिव्य अनुभूति प्रदान करता रहा।
दर्शकों की भारी भीड़ ने भी इस आयोजन की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। परिवारों समेत बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों ने बड़ी संख्या में महिला रामलीला का आनंद लिया और कलाकारों का उत्साहवर्धन किया। रामलीला के प्रत्येक दृश्य को तालियों और जयकारों के साथ सराहा गया, विशेष रूप से परशुराम लक्ष्मण संवाद, सीता हरण, संजीवनी बूटी का लाना और रावण वध के दृश्य ने लोगों को भावविभोर कर दिया।

समिति के अध्यक्ष एवं आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि यह महिला रामलीला आने वाले वर्षों में भी इसी तरह आयोजित की जाएगी और इसे एक परंपरा के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि समाज में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और उनके आत्मबल को प्रोत्साहन देने के लिए इस प्रकार के आयोजनों की अत्यंत आवश्यकता है।
इस आयोजन ने यह प्रमाणित कर दिया कि जब महिलाएँ एक मंच पर एकजुट होती हैं, तो वे किसी भी कार्य को सफल बनाने में समर्थ होती हैं। महिला रामलीला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह सामाजिक जागरूकता, संस्कृति के संरक्षण और महिला सशक्तिकरण का एक उत्कृष्ट उदाहरण बन गया है। अल्मोड़ा की यह पहल निश्चित रूप से देश के अन्य भागों के लिए भी प्रेरणास्रोत सिद्ध हो सकती है।
