अल्मोड़ा – 18 से 27 अक्टूबर 2024 तक देहरादून में आयोजित 10 दिवसीय सरस मेला एक अद्वितीय सांस्कृतिक और आर्थिक मंच के रूप में उभरा, जहां विभिन्न जनपदों के स्वयं सहायता समूहों ने अपने हस्तनिर्मित उत्पादों का प्रदर्शन किया। इस मेले में अल्मोड़ा के विकासखण्ड धौलादेवी की ‘‘जय मॉ कालिका’’ महिला स्वयं सहायता समूह ने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के बल पर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। समूह ने मेले के दौरान 6 लाख रुपये से अधिक की बिक्री की, जिससे उन्हें इस प्रतिष्ठित मेले में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ।
‘जय मॉ कालिका’ समूह ने अपनी प्रदर्शनी में उत्तराखंड की परंपरागत ऐपण कला, हस्तनिर्मित उत्पाद, पारंपरिक आभूषण और खाद्य उत्पादों को प्रदर्शित किया। इन उत्पादों ने दर्शकों और खरीदारों का भरपूर प्यार और सराहना हासिल की। ऐपण कला, जो उत्तराखंड की एक प्राचीन कला है, ने इस समूह के स्टॉल को और भी आकर्षक बना दिया। इस कला के अंतर्गत रंग-बिरंगे प्राकृतिक रंगों का उपयोग कर विभिन्न प्रकार के चित्रण और डिज़ाइन बनाए जाते हैं, जो सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक हैं।
इस सराहनीय उपलब्धि के लिए, उत्तराखंड के ग्रामीण विकास मंत्री गणेश जोशी ने समूह को सम्मानित किया। इस प्रकार की उपलब्धियां न केवल महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रतीक हैं, बल्कि स्थानीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देने का भी एक सशक्त उदाहरण प्रस्तुत करती हैं।
महिला सशक्तिकरण मंत्री रेखा आर्या ने भी इस उपलब्धि की सराहना की और कहा कि ‘‘जय मॉ कालिका’’ समूह की महिलाएं एक प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने कहा, “यह महिला सशक्तिकरण और स्थानीय कला को बढ़ावा देने का बेहतरीन उदाहरण है।” उनके अनुसार, इस समूह का स्टॉल अन्य जनपदों और राज्यों के स्टॉल्स में सबसे अधिक बिक्री करने वाला रहा, जो इस समूह की मेहनत और काबिलियत को दर्शाता है।
इस घटना ने न केवल अल्मोड़ा बल्कि पूरे उत्तराखंड का गौरव बढ़ाया है। यह इस बात का प्रमाण है कि जब महिलाएं एकजुट होती हैं और अपने कौशल को एक मंच पर लाती हैं, तो वे न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बनती हैं, बल्कि अपनी कला और संस्कृति को भी जीवित रखती हैं।
अल्मोड़ा के इस समूह ने न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राज्य स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है। महिलाओं ने अपने परिवारों के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे उनके आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास में वृद्धि हुई है। इसके अलावा, इस सफलता ने अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया है कि वे अपने कौशल को पहचानें और उसे विकसित करें।
सरस मेले में ‘जय मॉ कालिका’ समूह की सफलता अन्य महिला समूहों के लिए भी एक प्रेरणा बन गई है। अब अन्य महिलाएं भी इसी तरह के प्रयासों में जुटी हुई हैं, जिससे उन्हें भी अपनी कला और प्रतिभा का प्रदर्शन करने का अवसर मिले। इस प्रकार, यह मेला केवल एक बाजार नहीं, बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण का एक बड़ा मंच बन गया है।
कुल मिलाकर, ‘जय मॉ कालिका’ महिला स्वयं सहायता समूह की यह उपलब्धि न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए गर्व का क्षण है। यह इस बात का संकेत है कि स्थानीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए जब सामूहिक प्रयास होते हैं, तो सफलता अवश्य मिलती है। ऐसे प्रयासों को और बढ़ावा देने की आवश्यकता है ताकि और अधिक महिलाएं इस दिशा में कदम बढ़ा सकें और समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन ला सकें।
इस उपलब्धि के माध्यम से, ‘जय मॉ कालिका’ समूह ने यह सिद्ध कर दिया है कि महिलाएं न केवल घर की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं, बल्कि वे अपनी कला और प्रतिभा के माध्यम से समाज में एक बड़ा बदलाव भी ला सकती हैं। इस प्रकार की सफलताएँ हमें यह सिखाती हैं कि जब महिलाएं एकजुट होती हैं और अपने प्रयासों को एक दिशा में लगाती हैं, तो उनके पास किसी भी चुनौती का सामना करने की क्षमता होती है।