कैलाश शर्मा की पहल आई काम, उनके निरंतर प्रयासों से कांग्रेस पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा, जब त्रिलोचन जोशी, मनोज सनवाल, सुनील कर्नाटक, चिरंजीलाल वर्मा, सौरभ पंत जैसे नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया। इन नेताओं का कांग्रेस से इस्तीफा पार्टी के लिए एक गंभीर संकट बन गया है। इन नेताओं का भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा नुकसान साबित हो सकता है, विशेष रूप से चुनावों के दृष्टिकोण से।
कांग्रेस से नाराज होने के प्रमुख कारणों में एक बड़ा मुद्दा ओबीसी समाज की अवहेलना था। इन नेताओं का कहना था कि कांग्रेस पार्टी ने ओबीसी समुदाय के सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को नजरअंदाज किया। ओबीसी समाज को लेकर कांग्रेस का रवैया उनकी उम्मीदों और आकांक्षाओं के अनुरूप नहीं था। इसके अलावा, कांग्रेस पार्टी में सक्रिय सदस्यों को चुनावी टिकट न देने की भी गहरी नाराजगी थी। पार्टी के भीतर ऐसे कई सदस्य थे जिन्होंने लंबे समय तक कांग्रेस के लिए काम किया, लेकिन चुनावी टिकट मिलने में उन्हें निराशा ही हाथ लगी। यही कारण था कि पार्टी के अंदर असंतोष का माहौल बना और कई नेता अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित थे।
कांग्रेस के इस कदम ने सुनील कर्नाटक और चिरंजीलाल वर्मा जैसे नेताओं को भाजपा में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। इन नेताओं का भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के लिए एक संकेत है कि पार्टी की रणनीतियों में गंभीर खामियां हैं। खासतौर पर ओबीसी और अन्य पिछड़े वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व देने का जो वादा कांग्रेस ने किया था, उसे पूरा नहीं किया गया। इस बात ने कांग्रेस पार्टी के भीतर के कई समर्थकों को दूर कर दिया और इन नेताओं का भाजपा की तरफ झुकाव बढ़ गया।
कांग्रेस को यह उम्मीद थी कि ओबीसी वर्ग आगामी चुनावों में पार्टी का मजबूत आधार बनेगा। लेकिन जब यही वर्ग पार्टी से ही नाराज हो गया, तो यह कांग्रेस के लिए संकट का कारण बन गया। कांग्रेस पार्टी को महसूस हुआ कि ओबीसी समाज को लेकर किए गए वादों का पालन न करने से पार्टी के भीतर एक बड़ा असंतोष फैल गया। यह असंतोष अब भाजपा को एक मजबूत मौका दे सकता है, जो इन नाराज नेताओं को अपने पक्ष में लाकर चुनावी रणनीति को अपनी तरफ मोड़ने की कोशिश कर सकती है।
इसके अलावा, कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल भी गिरा हुआ है। पार्टी के अंदर के असंतोष और नाराजगी ने उनके आत्मविश्वास को चोट पहुंचाई है। यह घटनाएँ न केवल पार्टी की स्थिति को कमजोर करती हैं, बल्कि कार्यकर्ताओं के उत्साह को भी कम करती हैं। पार्टी में एकजुटता का अभाव कांग्रेस को आगामी चुनावों में परेशान कर सकता है।
कांग्रेस को अब अपनी स्थिति को संभालने के लिए अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करना होगा। पार्टी को अंदरूनी नाराजगी को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। साथ ही, ओबीसी और अन्य पिछड़े वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए पार्टी को अपने वादों को निभाना होगा, ताकि चुनावी मैदान में वह अपनी स्थिति को मजबूत बना सके। कांग्रेस के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण है, और अगर उसे आगामी चुनावों में सफलता हासिल करनी है, तो उसे अपने भीतर के विवादों को सुलझाकर एकजुटता की ओर कदम बढ़ाने होंगे।
काँग्रेस के पूर्व जिला महामंत्री ( संगठन) , पूर्व दायित्वधारी, निर्दलीय पालिकाध्यक्ष का चुनाव लडे़ त्रिलोचन जोशी के साथ वरिष्ठ काँग्रेसी एंव पूर्व जिला उपाध्यक्ष मनोज सनवाल, पूर्व जिला उपाध्यक्ष सुनील कर्नाटक प्रतिष्ठित व्यापारी एंव पूर्व संरक्षक नगर काँग्रेस चिंरिजीवी लाल वर्मा ,नगर के प्रतिष्ठित व्यापारी हरीश जोशी, नगर के कारोबारी एंव काँग्रेस परिवार से ताल्लुक रखने वाले अखिलेश राना, बहुराष्ट्रीय बॆंकिग सेक्टर में उपाध्यक्ष रहे एंव अल्मोड़ा नगर में पलायन को रोकने के लिए सक्रिय होकर कार्य कर रहे प्रतिष्ठित परिवार से जुड़े सॊरभ पन्त, नगर के समाजसेवी एंव कारोबारी मनोज तिवारी, काँग्रेस पार्टी से ओबीसी वर्ग में मेयर की एकमात्र महिला दावेदार रही सोनिया कर्नाटक, नवदुर्गा महोत्सव समिति ,लक्ष्मेश्वर की महिला सह संयोजिका स्मिता जोशी, पूर्व काँग्रेस जिला महामंत्री पंकज वर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता अमित मल्होत्रा
पत्रकार वार्ता में प्रदेश उपाध्यक्ष कैलाश शर्मा, पूर्व विधायक रघुनाथ चौहान, जिलाध्यक्ष रमेश बहुगुणा, दीपक पाण्डेय मीडिया प्रभारी राजेंद्र बिष्ट, नगर अध्यक्ष अमित साह मोनू, कैलाश गुरुरानी, ललित लटवाल,अजय वर्मा प्रत्याशी भाजपा, रवि रौतेला, चंदन गिरी , मनोज बिष्ट, मनोज वर्मा, जगत तिवारी, दीपक वर्मा, गंगा बिष्ट, मनीष जोशी आदि लोग मौजूद रहे।