चम्पावत –
प्रमुख वन संरक्षक (HoFF) डॉ. धनंजय मोहन का चम्पावत वन प्रभाग में तीन दिवसीय निरीक्षण शनिवार को संपन्न हुआ। इस दौरान उन्होंने मॉडल क्रू स्टेशन (Incident Command Post), बस्तिया पौधशाला सहित कई स्थलों का भ्रमण कर व्यवस्थाओं की समीक्षा की। निरीक्षण के दौरान डॉ. मोहन ने फील्ड में तैनात कर्मचारियों से संवाद करते हुए उन्हें सजगता और सतर्कता के साथ कार्य करने के निर्देश दिए।
इको-टूरिज्म में अपार संभावनाएं
प्रेस वार्ता के दौरान डॉ. मोहन ने कहा कि चम्पावत वन प्रभाग में इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। मायावती क्षेत्र में बर्ड वॉचिंग और पंचेश्वर क्षेत्र में एंग्लिंग पर्यटन की संभावनाएं चिन्हित की गई हैं। उन्होंने बताया कि भविष्य में बर्ड फेस्टिवल के आयोजन की योजना है, जिससे स्थानीय होम स्टे और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।
वनाग्नि नियंत्रण हेतु नवाचार और तकनीकी सहयोग
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में इस वर्ष अब तक कोई बड़ी वनाग्नि की घटना सामने नहीं आई है, जो विभाग की सजगता और तकनीकी नवाचारों का परिणाम है। उत्तराखंड फॉरेस्ट फायर ऐप के माध्यम से सूचना और अलर्ट प्रणाली को सशक्त किया गया है। देहरादून स्थित Integrated Control Room से पूरे प्रदेश की निगरानी की जा रही है।
मौसम विभाग से हुए समझौता ज्ञापन (MoU) के तहत विभाग को विशेष मौसम रिपोर्ट मिल रही हैं, जिससे वनाग्नि की पूर्व चेतावनी मिल रही है और फील्ड टीम को समय पर अलर्ट किया जा रहा है।
पिरुल खरीद दर में वृद्धि से मिलेगा बहुस्तरीय लाभ
डॉ. मोहन ने बताया कि चीड़ पिरुल की खरीद दर को ₹3 से बढ़ाकर ₹10 प्रति किलो किया गया है, जिससे स्थानीय लोगों की आमदनी बढ़ेगी और जंगलों से ज्वलनशील सामग्री हटाकर आग की घटनाओं पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।
जन सहयोग से ही वनाग्नि पर नियंत्रण संभव
उन्होंने स्थानीय नागरिकों से अपील की कि यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर आगजनी करता है, तो उसकी सूचना वन विभाग को दें। जनभागीदारी से ही ऐसी आपदाओं पर प्रभावी नियंत्रण संभव है।
स्थानीय समुदायों के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान
वन विभाग द्वारा प्रचार-प्रसार वाहन और एक्सपोज़र विज़िट्स के माध्यम से ग्रामीणों को वन संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इसके अलावा, जल स्रोतों की पहचान कर तीन वर्षीय परियोजनाओं के अंतर्गत मृदा, जल संरक्षण व पौधारोपण के कार्य किए जा रहे हैं।
चम्पावत वन प्रभाग की पहलें
प्रभागीय वनाधिकारी नवीन पंत ने बताया कि प्रत्येक क्रू स्टेशन पर 3 लीटर क्षमता वाले वॉटर हाइड्रेशन बैग्स वितरित किए गए हैं। साथ ही साल मिश्रित वनों में विशेष डिज़ाइन की गई फायर रेक का उपयोग किया जा रहा है, जिससे सूखे पत्तों की सफाई अधिक प्रभावी ढंग से हो रही है।
इस अवसर पर मुख्य वन संरक्षक (कुमाऊं) डॉ. धीरज पांडे और SDO नेहा सौन भी उपस्थित रहीं।