अल्मोड़ा: शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान अल्मोड़ा के मैदान तक चढ़ने वाला मार्ग पिछले काफी समय से क्षेत्रवासियों और संस्थान से जुड़े लोगों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है। इस रास्ते से संस्थान के अंदर वाहनों को ले जाना लोगों के लिए कठिन होता जा रहा है। खासकर बरसात के मौसम में स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ जाती है।
पूर्व में इस मार्ग पर बनी नाली बंद हो चुकी थी, जिसके चलते नेशनल हाईवे का बारिश का पानी लोगों के घरों में घुसने लगा था। यह समस्या कई वर्षों से बनी हुई थी। स्थानीय निवासियों की लगातार शिकायतों और जनप्रतिनिधियों की पहल के बाद इस नाली को खोला गया। इस कार्य में पार्षद अमित साह ‘मोनू’ की भूमिका उल्लेखनीय रही। उन्होंने नेशनल हाईवे विभाग से संपर्क कर इस नाली को खुलवाने का कार्य करवाया, जिससे क्षेत्रवासियों को बड़ी राहत मिली।

हालांकि नाली खुलने से पानी की निकासी का मार्ग तो सुचारू हुआ, लेकिन अब एक नई समस्या ने जन्म ले लिया है। नाली के ऊपर अभी तक कोई रैंप नहीं बना है, जिससे वाहनों को मैदान में चढ़ाना मुश्किल हो रहा है। वाहन चालकों को नाली पर अस्थायी रूप से पत्थर डालकर चढ़ाई करनी पड़ रही है, जिससे रोजाना किसी न किसी वाहन के फंसने की घटनाएं सामने आ रही हैं। इससे न सिर्फ वाहन मालिकों को क्षति हो रही है, बल्कि समय की भी बर्बादी हो रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि समय रहते संस्थान प्रशासन द्वारा रैंप का निर्माण करवा दिया गया होता, तो ऐसी दिक्कतें उत्पन्न नहीं होतीं। क्षेत्रवासियों का यह भी कहना है कि शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान जैसे महत्वपूर्ण स्थान पर ऐसी आधारभूत सुविधाओं का अभाव होना चिंताजनक है।
इस मुद्दे को लेकर जब शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान अल्मोड़ा के प्रभारी प्रधानाचार्य एल. एम. पांडेय से वार्ता की गई, तो उन्होंने बताया कि इस नाली के ऊपर रैंप निर्माण की प्रक्रिया प्रगति पर है। उन्होंने कहा कि रैंप बनाने के लिए आवश्यक प्रावधान किए जा चुके हैं और कुछ ही दिनों में निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि लगभग सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं और जल्द ही स्थायी समाधान लोगों को मिलेगा।
स्थानीय जनता और संस्थान से जुड़े लोग अब आशान्वित हैं कि रैंप बनने के बाद इस रास्ते से जुड़े तमाम दिक्कतें समाप्त हो जाएंगी। रैंप निर्माण के बाद न केवल वाहनों की आवाजाही आसान हो जाएगी, बल्कि दुर्घटनाओं और अन्य असुविधाओं से भी राहत मिलेगी।
अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि यह कार्य कब तक पूरा होता है और लोगों को कब तक इस असुविधा से छुटकारा मिलता है।