पंचायती चुनाव पर कुमाऊनी हास्य व्यंग्य कविता 😃
हा्य पधाना हा्य पधान,रे पधाना हा्य पधान
गों शहरा छन चुनाव,एक्के हैंगी मुस बिराव
झिट घड़ी में कस उमाव,बासि्ल् मुर्द हैंरी छाव
एक्क गों में कतुक फाड़ा,द्याप्त ऐरीं रे नौताड़
दम अतरै की धुबैण,डबलोंकि छू उच्यैण
नई नई द्याप्त देखी,झुरिगो छ चमुथान
हा्य पधाना हा्य पधान,रे पधाना हा्य पधान।
कैकि पल्यो केकि चैंस,हड़िक् खाणि सैणि मैस,
एक्के हैंरी मडु मादिर,भंगिर जखि कौणि रैंस,
गा्इ दिछी जो पांच साल,आज हैरे मिकैं खाल.
उस्सै जिबड़ मिठ् ला्गलो जस तुमुलै निमु सान।
हा्य पधाना हा्य पधान,रे पधाना हा्य पधान।
मुर्ग बा्कर हैंरी घौत, बैणि हैगे कठुलि सौत
चुनाउका गोरू ब्यैरो,छक्क खाओ रे बिगौत।
मैं जितूलो तुमर ठाठ,हिय् में किलै छू उच्याट्
पछिन् बटी घर पुजैहै,नि करो अंतोशियाट
चौमासा कुकरा हाथम् दिरै छ तुमुल् कमान।
हा्य पधाना हा्य पधान,रे पधाना हा्य पधान
भिपन् चानी किले का्न, ठुल् बोटम भैरो बा्न,
छन भितेरा खड़िग जस,जो दिखणी नानु ना्न।
घुरुचुपु ठा्ँगर ठाड् हैंरी भौत्ते ठसाठस,
यति उती बास उनै,धणी हैगो लिंगुण जस,
चुनाउकी कइकई छू, फिर करुलो रे चुटान।
हा्य पधाना हा्य पधान,रे पधाना हा्य पधान।
बेली मुनाव फोड़िबेर,जो लागछी जै
आज मिकैं खा्ल हैरे,म्यर जनू भै।
म्यर मधनि कैं के हैगो, बेलि उठो आज भैगो
भली चाओ करो शोध, कसी हैगो निर्विरोध?
हरू हरिश्चन्द्र हैरो, खूब हैरो दान
हा्य पधाना हा्य पधान,रे पधाना हा्य पधान।
खुट्टी पैला्ग तुम मैबाब, इंग्लिस में देसि सराब,
अद्ध लिजा खेड़ त पउ, मुर्ग खैजा मउ मउ।
गुद्दी जैरे कत्थै भ्योव, जस्सै मैस उस्सै़ थोव,
हिलै हालि भाना कुना, छन् एैजाल खुटा मुना।
झिलसन डकार उनै, फिर लै छन भुकान
हा्य पधाना हा्य पधान,रे पधाना हा्य पधान।
गौं बाखई हैरो त्यार, दुश्मण लै हैरीं यार,
एक्कैं चुलम् रवा्ट् पाकणि, जो हैंगछी कब्भै न्यार,
उस्सै खाब्ड़ि उस्सै बात, गाई देला् खाए लात,
ठ कौला तो ठ कये रे, ब कौला तो ब,
चुपड़ि खाबड़ि म लमाए,जब नि हो्ली ध।
हा्य पधाना हा्य पधान,रे पधाना हा्य पधान
आदिमों की दैल फैल, शैणियाक् मन कुकेल
शराबीन उनी स्वैन,भोल कसी मिलैं थैल
भोल खूब भीड लिबे्र, ब्याव मैंकें मिल,
नई कढै़ मिक्सी द्यूलो,झन पूछिए सिल्
नाई माणा हैरे गईं, फरूवाकी शान।
हा्य पधाना हा्य पधान,रे पधाना हा्य पधान
हा्य पधाना हा्य पधान,रे पधाना हा्य पधान।
मनी नमन 🖋️