अल्मोड़ा |
उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी निभाने वाले चिन्हित आन्दोलनकारियों को उच्च शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों, प्रबन्धन संस्थानों एवं मेडिकल कॉलेजों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की सुविधा व्यवहार में प्रभावी रूप से लागू कराने की मांग को लेकर सोमवार को एक महत्वपूर्ण ज्ञापन जिलाधिकारी अल्मोड़ा के माध्यम से मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड को प्रेषित किया गया।
यह ज्ञापन राज्य आन्दोलनकारियों द्वारा संयुक्त रूप से भेजा गया, जिसमें शासन द्वारा दिनांक 18 अगस्त 2024 को जारी अधिसूचना संख्या 244/XXXVI(3)/2024/48(1)/2023 का उल्लेख करते हुए यह मांग की गई कि उक्त आरक्षण को वास्तविकता में लागू किया जाए। इसके लिए आन्दोलनकारियों ने स्पष्ट किया कि आरक्षण रोस्टर में ‘राज्य आन्दोलनकारी/आश्रित’ के लिए पृथक क्षैतिज श्रेणी निर्धारित की जानी चाहिए।
आन्दोलनकारियों ने जताई चिंता
ज्ञापन देने पहुंचे राज्य आन्दोलन के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं केवल सती, कुंदन सिंह भंडारी, जमन सिंह बिष्ट, डी. के. जोशी और भानु तिलारा ने कहा कि यह केवल एक प्रशासनिक विषय नहीं है, बल्कि यह आन्दोलनकारियों के सम्मान, उनकी सामाजिक मान्यता और भावी पीढ़ियों के भविष्य से जुड़ा गंभीर मामला है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की स्थापना में आन्दोलनकारियों ने जो बलिदान दिया, उसे सम्मान और समुचित प्रतिनिधित्व के रूप में लौटाया जाना चाहिए। शासनादेश के बावजूद यदि आरक्षण रोस्टर में स्पष्ट प्रावधान नहीं होता, तो इस निर्णय का लाभ जमीनी स्तर तक नहीं पहुंच पाएगा।
मुख्यमंत्री से शीघ्र हस्तक्षेप की मांग
ज्ञापन में मुख्यमंत्री से आग्रह किया गया है कि वह इस विषय में शीघ्र संज्ञान लें और संबंधित विभागों को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करें ताकि शासनादेश की भावना के अनुरूप राज्य आन्दोलनकारियों और उनके आश्रितों को उचित लाभ मिल सके।
आन्दोलनकारियों ने यह भी संकेत दिया कि यदि शीघ्र ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो वे आगामी समय में राज्यव्यापी आंदोलन की भी राह अपना सकते हैं।
राज्य आन्दोलनकारियों को क्षैतिज आरक्षण प्रभावी रूप से लागू करने की मांग, मुख्यमंत्री को भेजा गया ज्ञापन

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