श्रद्धा, भक्ति और उत्साह से सराबोर रहा आध्यात्मिक वातावरण
नौकुचियाताल (नैनीताल)। भक्ति धाम में वार्षिक श्रीमद् भागवत कथा के शुभारंभ के अवसर पर एक दिव्य और भव्य कलश यात्रा का आयोजन किया गया। इस पावन यात्रा में देश के कोने-कोने से हजारों श्रद्धालुओं ने सहभागिता कर भक्तिरस से सराबोर वातावरण का साक्षात्कार किया।
कलश यात्रा भक्ति धाम से प्रारंभ होकर नौकुचियाताल झील के समीप स्थित प्रसिद्ध श्री मां गंगा मंदिर, जिसे स्थानीय श्रद्धालु हर जी पौड़ी के नाम से जानते हैं, तक निकाली गई। भक्तों ने सिर पर पवित्र कलश धारण कर, भजन-कीर्तन, श्रीराम धुन, श्री राधा-कृष्ण कीर्तन और श्री मौनी मां के भजनों के साथ वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। संपूर्ण यात्रा मार्ग में जयघोष, ध्वनि वादन और पुष्पवर्षा ने आस्था का अनुपम दृश्य प्रस्तुत किया।
हर वर्ष की भांति इस बार भी श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन भक्ति धाम ट्रस्ट के तत्वावधान में 27 मई से 3 जून 2025 तक किया जा रहा है। इस दिव्य आयोजन में देशभर से संत-महात्मा और विद्वान आचार्य पधार रहे हैं। आयोजन की विशेषता इस बार वृंदावन से पधारे भक्ति मंडल की सहभागिता है, जिसका नेतृत्व सुप्रसिद्ध कथावाचिका सुश्री मां मधुबनी जी कर रही हैं। उनके सान्निध्य में भक्तिरस का सागर उमड़ रहा है।
इस पुण्य अवसर पर अनेक विशिष्ट भक्तगण भी आयोजन को पावन बना रहे हैं, जिनमें प्रमुख रूप से डॉ. दीपा गुप्ता, मनोज गुप्ता, डॉ. लता कांडपाल, डॉ. लता कुंजवाल, डॉ. कुसुम शर्मा, मोहित गुप्ता, हर्षित गुप्ता, गरिमा पंवार, पं. संजय भट्ट, पंत हरीश जोशी, कांता, अरविंद कुमार, रोहित दानी, मीरा दीदी, शोभा, संस्कृति पवार आदि उपस्थित रहे। साथ ही नौकुचियाताल गांव सहित आसपास के क्षेत्रों के अनेक श्रद्धालु भारी संख्या में जुड़कर आयोजन को दिव्य स्वरूप प्रदान कर रहे हैं।
भक्ति धाम ट्रस्ट के प्रबंधक सिंह बिष्ट गजेंद्र ने जानकारी दी कि श्रद्धालुओं के लिए आगामी तीन महीनों तक भंडारे की सतत व्यवस्था की गई है। प्रतिदिन आने वाले भक्तों को प्रसाद एवं आतिथ्य सेवा प्रदान की जाएगी। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक शांति का माध्यम बना है, बल्कि सामाजिक समरसता और एकता का संदेश भी दे रहा है।
इस भव्य कलश यात्रा और कथा आयोजन ने समस्त श्रद्धालुओं को एक दुर्लभ आध्यात्मिक अनुभव प्रदान किया, जिसने आस्था को और भी सुदृढ़ किया। आयोजन स्थल पर श्रद्धालुओं की सेवा में लगे सभी स्वयंसेवकों का समर्पण भी विशेष सराहनीय रहा।