अल्मोड़ा।
भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष महेश नयाल की अध्यक्षता में आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर एक विशेष गोष्ठी का आयोजन किया गया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि 25 जून 1975 का दिन स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे काला दिन था, जिसे आज ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में याद किया जा रहा है।
गोष्ठी के मुख्य वक्ता कैलाश शर्मा ने कहा कि आपातकाल कांग्रेस की सत्ता की भूख का परिणाम था, जिसे ‘अन्यायकाल’ कहा जाना उचित होगा। उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल में प्रेस की स्वतंत्रता को कुचला गया, न्यायपालिका को नियंत्रित किया गया और हजारों सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया, ताकि देश की युवा पीढ़ी उस कालखंड के अत्याचारों से अवगत हो सके।
पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने कहा कि उस समय देशवासियों ने ‘सिंहासन खाली करो’ का उद्घोष किया और तानाशाही कांग्रेस शासन को उखाड़ फेंका। उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा में बलिदान देने वाले सभी सेनानियों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर आपातकाल के दौरान यातना सहने वाले लोकतंत्र सेनानी रणजीत सिंह भंडारी तथा प्रेम सिंह बिष्ट के पुत्र हरीश बिष्ट को सम्मानित किया गया। रणजीत सिंह भंडारी ने अपने वक्तव्य में कहा कि उस समय मिसा जैसे काले कानूनों के माध्यम से आम नागरिकों की स्वतंत्रता छीन ली गई थी।
कार्यक्रम का संचालन संयोजक महिपाल सिंह बिष्ट एवं जगत तिवारी ने संयुक्त रूप से किया।
कार्यक्रम में दर्जा राज्य मंत्री गंगा बिष्ट, पूर्व दर्जा मंत्री गोविन्द पिल्खवाल, निवर्तमान जिलाध्यक्ष रमेश बहुगुणा, नगर निगम के मेयर अजय वर्मा, ललित लटवाल, किरण पंत, पूर्व राज्य मंत्री ए.के. सिकंदर, महामंत्री ललित दोसाद, धर्मेंद्र बिष्ट, आनंद डंगवाल, महेश बिष्ट, राजेन्द्र बिष्ट, संजय डालाकोटी, मनीष जोशी, रमेश धपोला, सुनील बिष्ट, सुनील कर्नाटक, मनोज तिवारी, गोविन्द पिल्खवाल, अरविन्द बिष्ट, नगर मंडल अध्यक्ष विनीत बिष्ट, संजय बिष्ट, दिनेश पाण्डेय, नवीन बिष्ट, मंगल रावत, बलवंत नगरकोटी, प्रताप गैड़ा, जगत भट्ट, अर्जुन बिष्ट, मनीष बिष्ट, कुन्दन बिष्ट, रेखा आर्या, देवेंद्र भट्ट, जगदीश रावत, सोनू सिजवाली, चंदन बिष्ट, दीपा बिष्ट सहित अनेक वरिष्ठ पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
इस गोष्ठी का उद्देश्य न केवल अतीत की त्रासदी को याद करना था, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा हेतु सजग रहने का संकल्प लेना भी था।
आपातकाल की 50वीं बरसी पर गोष्ठी आयोजित, लोकतंत्र सेनानियों को किया गया सम्मानित

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