अल्मोड़ा, जनपद के सेवा निवृत्त शिक्षक अब प्रशासनिक उपेक्षा से क्षुब्ध होकर आंदोलन की राह पकड़ने को विवश हो रहे हैं। मुख्य शिक्षा अधिकारी, अल्मोड़ा को भेजे गए पत्र में शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि यदि 17 अगस्त 2025 तक उनके लंबित पेंशन भुगतान संबंधी मामलों का निस्तारण नहीं किया गया, तो वे 18 अगस्त से मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन शुरू करेंगे।
शिक्षकों का कहना है कि 17 अगस्त 2020 तक सेवानिवृत्त हो चुके कई शिक्षकों के देयकों का भुगतान अब तक नहीं हुआ है। बार-बार निवेदन करने और सहमति बनने के बावजूद सायके (सायंकालीन कार्य प्रणाली) द्वारा वादाखिलाफी की जा रही है। आरोप लगाया गया है कि मुख्य शिक्षा अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं और शिक्षकों का उत्पीड़न कर रहे हैं।
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि उत्तर प्रदेश पेंशन अधिनियम 2018 की धारा 15 और 6 के अनुसार अंतिम आहरित वेतन का 50% पेंशन के रूप में देय है, और 20 वर्षों की सेवा पर पूर्ण पेंशन निर्धारित की गई है। इसके बावजूद इन नियमों की खुलेआम अवहेलना हो रही है।
सेवानिवृत्त शिक्षकों का कहना है कि अन्य जनपदों में सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार वहां यह नियम प्रभावी रूप से लागू किए जा रहे हैं। जबकि अल्मोड़ा जनपद में गठित समिति के सहमति और हस्ताक्षर होने के बावजूद पेंशन भुगतान नहीं किया जा रहा है, जिससे सेवानिवृत्त शिक्षक मानसिक, आर्थिक व सामाजिक पीड़ा झेल रहे हैं।
उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि 17 अगस्त तक सभी लंबित मामलों का निस्तारण नहीं किया गया, तो 18 अगस्त से सीईओ कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन शुरू किया जाएगा, जिसकी समस्त जिम्मेदारी जिला प्रशासन व मुख्य शिक्षा अधिकारी की होगी।
अब देखना यह है कि शिक्षा विभाग इस चेतावनी को कितना गंभीरता से लेता है और पेंशनभोगी शिक्षकों को उनका वाजिब हक दिलाने के लिए क्या कदम उठाता है।
