षष्टम दिवस की रामलीला
श्री भुवनेश्वर महादेव मन्दिर एवं रामलीला समिति, कर्नाटक खोला अल्मोडा द्वारा आयोजित षष्टम दिवस की रामलीला में अद्वितीय प्रस्तुतियाँ दी गईं। इस अवसर पर पंचवटी प्रसंग, शूर्पनखा नासिका छेदन, खर-दूषण, त्रिसरा प्रसंग/वध, रावण-मारीच संवाद, सीता हरण, और जटायु प्रसंग का मंचन हुआ। इन सभी प्रसंगों ने दर्शकों को रामकथा के विभिन्न आयामों से अवगत कराया।
मुख्य आकर्षण
रामलीला में शूर्पनखा का नासिका छेदन, खर-दूषण, त्रिसरा प्रसंग और साधु मारीच-रावण संवाद मुख्य आकर्षण रहे। कलाकारों ने अपने जीवंत अभिनय और भावनाओं को प्रस्तुत करते हुए दर्शकों का मन मोह लिया। विशेष रूप से रावण और मारीच का संवाद, जिसमें दोनों ने अपने पात्रों को पूरी गहराई से जीया, दर्शकों की वाहवाही बटोरी।
दर्शकों की प्रतिक्रिया
कार्यक्रम का आनंद लेने के लिए न केवल स्थानीय दर्शक उपस्थित थे, बल्कि देश-विदेश के अनेक व्यक्तियों ने ऑनलाइन जुड़कर इस रामलीला का आनंद लिया। सोशल मीडिया के माध्यम से कई लोगों ने कलाकारों की प्रतिभा और प्रदर्शन की प्रशंसा की, जिससे यह स्पष्ट होता है कि रामलीला की लोकप्रियता आज भी बरकरार है।
कलाकारों की भूमिका
राम के पात्र रश्मि काण्डपाल, लक्ष्मण के रूप में वैभवी कनार्टक, सीता के रूप में कोमल जोशी, और रावण की भूमिका में पूर्व मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने अपने अभिनय से सभी का दिल जीत लिया। इसके अलावा, साधु मारीच का किरदार निभाने वाले मनीष जोशी, खर के रूप में एस.एस. कपकोटी, दूषण के रूप में कमलेश पाण्डे, त्रिसरा के रूप में अभिषेक नेगी और सूर्पनखा के रूप में मानसी, ज्योति, अंजलि, निशा, और पायल ने अद्भुत अभिनय किया।
अतिथियों का स्वागत
षष्टम दिवस की रामलीला का उद्घाटन मुख्य अतिथि जीवन जोशी, वरिष्ठ रंगकर्मी एवं प्रतिष्ठित व्यवसायी, श्रीमती जया जोशी, समाजसेवी और हिमांशु तिवारी, प्रधानाचार्य बडगलभट्ट द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। मुख्य अतिथियों ने अपने वक्तव्य में समिति के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने बताया कि भुवनेश्वर महादेव मन्दिर एवं रामलीला समिति केवल रामलीला तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने कई नाटिकाएँ भी मंचित की हैं, जो समाज के विभिन्न मुद्दों को उजागर करती हैं।
सामाजिक मुद्दों पर ध्यान
समिति के संस्थापक एवं संयोजक बिट्टू कर्नाटक की मेहनत के कारण, पिछले वर्षों की तरह, इस वर्ष भी “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” और महिला सशक्तिकरण जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दिया गया। यह दर्शाता है कि कला के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को उठाना और उनमें जागरूकता फैलाना कितना महत्वपूर्ण है।
उपस्थित दर्शक
इस कार्यक्रम में अनेक सम्मानित व्यक्तित्व शामिल हुए, जिनमें अखिलेश थापा, देवेन्द्र कर्नाटक, दीपेश जोशी, योगेश जोशी, दिनेश मठपाल, और कई अन्य शामिल थे। सभी उपस्थित दर्शकों ने कलाकारों के प्रदर्शन को सराहा और उन्हें प्रोत्साहित किया।
संचालन
कार्यक्रम का संचालन भावना मल्होत्रा और गितांजलि पाण्डे ने संयुक्त रूप से किया। उनके द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम ने माहौल को और भी जीवंत बना दिया।
इस रामलीला मंचन ने न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखा, बल्कि समाज में समरसता और एकता का संदेश भी फैलाया। दर्शकों की भागीदारी और कलाकारों का अद्भुत प्रदर्शन दर्शाता है कि रामलीला की परंपरा न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि यह समाज को एकजुट करने और जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण साधन भी है। इस प्रकार, श्री भुवनेश्वर महादेव मन्दिर एवं रामलीला समिति ने अपनी भूमिका को सिद्ध किया और भविष्य में भी इसी प्रकार की प्रस्तुतियों के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की प्रेरणा दी।