अल्मोड़ा – श्री भुवनेश्वर महादेव मंदिर एवं रामलीला समिति, कर्नाटक खोला, अल्मोडा में आयोजित रामलीला महोत्सव 2024 का आयोजन भव्य रूप से चल रहा है। इस महोत्सव का उद्देश्य भारतीय संस्कृति, विशेष रूप से रामायण की महानता को जीवंत करना है। इस वर्ष के महोत्सव में चतुर्थ दिवस की रामलीला का मंचन खासतौर पर दर्शकों के बीच चर्चा का विषय बना, जिसमें कैकेई और मंथरा के संवाद, तथा दशरथ और कैकेई के संवाद ने सभी का ध्यान खींचा।
मुख्य आकर्षण:
चौथे दिन के मंचन में कैकेई और मंथरा के संवाद ने दर्शकों का मन मोह लिया। इस संवाद में कैकेई की कुचाल और मंथरा की चतुराई का चित्रण बहुत ही प्रभावशाली तरीके से किया गया। दर्शकों ने तालियों के माध्यम से कलाकारों की हौसला अफजाई की। इस आयोजन को देखने के लिए केवल रामलीला मैदान में उपस्थित दर्शक ही नहीं, बल्कि ऑनलाइन दर्शकों ने भी इस कला का आनंद लिया। अनेक संदेशों के माध्यम से कैकेई-मंथरा और दशरथ-कैकेई संवादों की सराहना की गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि रामलीला के प्रति लोगों में गहरी रुचि है।
शुभारंभ:
चतुर्थ दिवस की रामलीला का शुभारंभ मुख्य अतिथि भूपेन्द्र सिंह भोज, जिलाध्यक्ष अल्मोड़ा विकास मंच द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। उन्होंने रामलीला समिति की सराहना करते हुए कहा कि उनके द्वारा ऐसे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कार्यक्रम निरंतर आयोजित किए जाते रहे हैं, जो आज के समय में लोक कला और संस्कृति के उत्थान में अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि इन आयोजनों से नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोड़ने का एक उत्तम माध्यम मिल रहा है।
भूपेन्द्र सिंह ने विशेष रूप से समिति के संस्थापक और संयोजक पूर्व मंत्री बिट्टू कर्नाटक को बधाई दी और कहा कि वे उत्तराखंड की विरासत और संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। उन्होंने यह भी विश्वास व्यक्त किया कि श्री कर्नाटक महिलाओं को मंच पर आगे बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
कलाकारों का अभिनय:
इस दिन के मंचन में विभिन्न कलाकारों ने अपनी भूमिकाएं बखूबी निभाई। दशरथ की भूमिका में अखिलेश थापा, कैकेई में मेघा काण्डपाल, मंथरा में मनीष तिवारी, राम में रश्मि काण्डपाल, लक्ष्मण में वैभवी कर्नाटक, सीता में वैष्णवी पवार, कौशिल्या में मिनाक्षी जोशी, और सुमित्रा में नेहा जोशी ने शानदार प्रदर्शन किया। उनके संवादों ने दर्शकों को बांधे रखा और विशेष रूप से कैकेई-मंथरा तथा दशरथ-कैकेई संवादों ने उपस्थित सभी व्यक्तियों को भाव-विभोर कर दिया।
सांस्कृतिक महत्व:
रामलीला का यह मंचन केवल एक नाट्य प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और समाज के मूल्यों को उजागर करता है। इस प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह समाज में नैतिकता, धर्म और आदर्शों को स्थापित करने का भी कार्य करता है। रामलीला महोत्सव जैसे कार्यक्रमों से नई पीढ़ी को अपने इतिहास और संस्कृति की गहराई से अवगत कराया जाता है।
ये लोग रहे उपस्थित :
इस अवसर पर अनेक प्रमुख व्यक्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इनमें लीलाधर काण्डपाल, पूरन चन्द्र तिवारी, रमेश चंद्र जोशी, जगदीश चन्द्र तिवारी, डॉ करन कर्नाटक, अनिल रावत, दिनेश मठपाल, दयाकृष्ण जोशी, हेम जोशी, गौरव काण्डपाल, त्रिभुवन अधिकारी, कमलेश पाण्डे, बद्री प्रसाद कर्नाटक, एम.डी. काण्डपाल, सुरेश चंद्र जोशी, देवेन्द्र जनौटी, हीरा बल्लभ काण्डपाल, हंसा दत्त कर्नाटक, बृजेश पाण्डे, महेश चंद्र कर्नाटक, देवेन्द्र गोस्वामी, हेम पाण्डे, योगेश जोशी, प्रकाश मेहता, कोमल जोशी, सुनीता बगडवाल, कविता पाण्डे, रेखा जोशी, सीमा कर्नाटक, शोभा कांडपाल, अशरद, रजनीश कर्नाटक, कमलेश कर्नाटक, कौशल पाण्डे, अजय विष्ट, आशु रौतेला, वैष्णवी जोशी शामिल थे। कार्यक्रम का सफल संचालन गितांजलि पाण्डे द्वारा किया गया, जिन्होंने अपनी कुशलता से कार्यक्रम को और भी प्रभावी बनाया।
रामलीला महोत्सव 2024 का यह चतुर्थ दिवस न केवल दर्शकों के लिए एक मनोरंजक अनुभव था, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखने का एक महत्वपूर्ण प्रयास भी था। कैकेई का कुचक्र और राम का वनवास दर्शाता है कि किस प्रकार मनुष्य की इच्छाएं और विवेचनाएं उसके जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ ला सकती हैं। इस प्रकार के आयोजन समाज में नैतिकता और धर्म के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सहायक होते हैं, जो हमें अपने इतिहास और सांस्कृतिक मूल्यों की ओर ध्यान दिलाते हैं। इस महोत्सव का हर एक क्षण दर्शकों के दिलों में अमिट छाप छोड़ गया, जो इस सांस्कृतिक धरोहर की जीवंतता को दर्शाता है।