अल्मोड़ा – कर्नाटक खोला अल्मोडा में आयोजित श्री भुवनेश्वर महादेव मंदिर एवं रामलीला समिति द्वारा तृतीय दिवस की रामलीला का आयोजन धूमधाम से किया गया। इस बार के मंचन में ‘सीता स्वयंवर’, ‘रावण-बाणासुर’ और ‘परशुराम-लक्ष्मण संवाद’ जैसे प्रमुख प्रसंगों ने दर्शकों का ध्यान खींचा। उपस्थित दर्शकों ने इस शानदार प्रस्तुति का भरपूर आनंद लिया और रामलीला के प्रति अपनी भूरी-भूरी प्रशंसा व्यक्त की।
रामलीला का आरंभ
कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि राजेन्द्र तिवारी, एक वरिष्ठ रंगकर्मी, द्वारा दीप प्रज्जवलित करने के साथ हुई। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा कि ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रम समाज में अच्छे मूल्यों को बढ़ावा देते हैं और युवा पीढ़ी को प्रेरित करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि रामलीला जैसे आयोजन न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि ये समाज में फैली बुराइयों को दूर करने का एक सशक्त माध्यम भी हैं।
मुख्य आकर्षण
रामलीला में भाग ले रहे कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया। ‘राम’ का पात्र निभाने वाली रश्मि काण्डपाल, ‘लक्ष्मण’ के रूप में वैभवी कर्नाटक, और ‘सीता’ का किरदार निभाने वाली वैष्णवी पवार ने अपनी अदाकारी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। ‘जनक’ की भूमिका में अनिल रावत और ‘सुनैना’ के रूप में रेखा पवार ने भी सराहना प्राप्त की।
पूर्व मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने ‘रावण’ का किरदार निभाते हुए संवाद और डायलॉग के माध्यम से दर्शकों की वाहवाही बटोरी। उनकी अभिनय क्षमता ने कार्यक्रम में जान डाल दी। बाणासुर का किरदार निभाने वाले राहुल जोशी और परशुराम के रूप में कमलेश पाण्डे ने भी अपने-अपने संवादों और अभिनय के माध्यम से दर्शकों का ध्यान खींचा।
दर्शकों की प्रतिक्रियाएं
दर्शकों की भारी संख्या ने इस कार्यक्रम का आनंद लिया। रामलीला के मंचन को ऑनलाइन संदेशों के माध्यम से भी व्यापक सराहना मिली, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस सांस्कृतिक कार्यक्रम का समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। दर्शक अपने साथियों और परिवार के साथ इस कार्यक्रम का आनंद लेने आए थे और सभी ने मिलकर इस धार्मिक व सांस्कृतिक आयोजन को सफल बनाने में योगदान दिया।
कलाकारों की मेहनत
रामलीला में शामिल सभी कलाकारों ने अपनी अदाकारी के माध्यम से न केवल रामकथा का गुणगान किया, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का भी सम्मान किया। विभिन्न पात्रों ने अपने संवादों के साथ-साथ गायन और नृत्य से इस आयोजन को जीवंत बनाया।
सभी पात्रों के बीच की संवाद अदायगी ने इस मंचन को और भी प्रभावशाली बना दिया। दर्शकों ने विशेषकर रावण के संवादों पर जोरदार तालियां बजाईं। यह सभी कलाकारों की मेहनत और लगन का परिणाम था कि उन्होंने दर्शकों को इतनी गहराई से प्रभावित किया। राम की पात्र रश्मि काण्डपाल,लक्ष्मण-वैभवी कर्नाटक,सीता-वैष्णवी पवार,जनक-अनिल रावत, सुनैना रेखा पवार,रावण-पूर्व मंत्री बिट्टू कर्नाटक, बाणासुर -राहुल जोशी,परशुराम-कमलेश पाण्डे,विश्वामित्र-
एस.एस.कपकोटी,बन्दीजन- भावना मल्होत्रा एवं ममता कपूर, देश-विदेश के राजा के रूप में कलाकार अमर बोरा,कमल जोशी,रेखा जोशी, कविता पाण्डे, कंचन पाण्डे,कमला पाण्डे, सुनीता बगडवाल आदि द्वारा जीवन्त अभिनय किया ।
बंदीजन- भावना मल्होत्रा एवं ममता कपूर
रामलीला के मंचन में ‘बंदीजन’ की भूमिका निभाने वाली महिलाओं, भावना मल्होत्रा और ममता कपूर, ने दर्शकों का दिल जीत लिया। उनकी अदाकारी और संवाद अदायगी ने न केवल दर्शकों को आकर्षित किया, बल्कि उन्हें मंच पर एक नई ऊर्जा प्रदान की।
उनकी अभिनय शैली में एक विशेष निखार था, जिसने दर्शकों को उनके पात्रों के प्रति गहरी जुड़ाव महसूस कराया। उन्होंने अपने संवादों के माध्यम से न केवल अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया, बल्कि समाज में महिलाओं की शक्ति और उनके योगदान को भी उजागर किया।
भव्यता और भावनाओं के साथ भरी हुई उनकी प्रस्तुति ने दर्शकों से खूब वाहवाही बटोरी। उनके अभिनय ने यह साबित कर दिया कि रामलीला में हर पात्र का महत्व होता है, चाहे वह बड़ा हो या छोटा। भावना और ममता की मेहनत और लगन ने इस आयोजन को और भी खास बना दिया, जिससे दर्शकों ने उनके प्रति अपनी प्रशंसा का इजहार किया।
इस प्रकार, ‘बंदीजन’ के रूप में उनकी भूमिका ने रामलीला के मंचन को और भी समृद्ध किया और उन्होंने दर्शकों के दिलों में एक स्थायी छाप छोड़ी।
मुख्य अतिथि का भाषण
मुख्य अतिथि राजेन्द्र तिवारी ने अपने सम्बोधन में कलाकारों को बधाई दी और कहा कि इस प्रकार के आयोजन युवा पीढ़ी को सही मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि रामलीला जैसे कार्यक्रम केवल मनोरंजन का साधन नहीं होते, बल्कि यह समाज को एकजुट करने का कार्य करते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें अपने सांस्कृतिक धरोहरों को संजोकर रखना चाहिए और आने वाली पीढ़ी को इनके महत्व के बारे में बताना चाहिए।
कार्यक्रम का समापन
इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक लीलाधर काण्डपाल, पूरन चंद तिवारी, एम.सी. काण्डपाल, रमेश चंद्र जोशी, जगदीश चंद्र तिवारी, और अन्य उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन गितांजली पाण्डे द्वारा किया गया, जिन्होंने अपनी सटीक व प्रभावशाली प्रस्तुति से कार्यक्रम को और भी रंगीन बना दिया।
इस प्रकार, श्री भुवनेश्वर महादेव मंदिर एवं रामलीला समिति द्वारा आयोजित रामलीला ने न केवल दर्शकों का मनोरंजन किया, बल्कि उन्हें रामायण की शिक्षाओं और भारतीय संस्कृति के प्रति भी जागरूक किया। यह आयोजन निश्चित रूप से आने वाले दिनों में भी इसी प्रकार की सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करेगा।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, कर्नाटक खोला अल्मोडा में आयोजित रामलीला का तृतीय दिवस एक अविस्मरणीय अनुभव था। यह आयोजन न केवल मनोरंजन का माध्यम था, बल्कि सांस्कृतिक समृद्धि और सामाजिक संदेश का भी वाहक था। रामलीला की ऐसी प्रस्तुतियों से समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा में एक नई राह प्रशस्त होती है। सभी कलाकारों, आयोजकों और दर्शकों का योगदान इस आयोजन की सफलता में महत्वपूर्ण रहा, और यह एक यादगार अनुभव बन गया।